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-शिया समुदाय ने पहले इमाम हजरत अली की जयंती पर निकाला जुलूस, सेमिनार

वाराणसी, 26 फरवरी (हि.स.)। धर्म नगरी काशी में शुक्रवार को शिया समुदाय ने पहले इमाम शेरे खुदा हजरत अली की 1466 वी जयंती (अली डे) उत्साह पूर्ण माहौल में मनाया। मस्जिदों व मौला अली के रौजे पर रोशनी के बीच जश्न मनाया गया। जयंती पर परम्परानुसार टाउनहाल मैदान से दरगाहे फातमान तक जुलूस निकाला गया। बुलानाला, नीचीबाग, चौक, दालमंडी, नई सड़क, काली महाल, पितरकुंडा में समुदाय के लोग जुलूस पर पुष्पवर्षा कर खैरमकदम करते रहे। दरगाहे फातमान पर सैकड़ों लोगों ने हजरत अली के रौजे पर जियारत की। समुदाय के बस्तियों में महफिल-मीलाद कार्यक्रम हुआ। जिसमें हजरत अली की शान में कसीदे पढ़े गए। शाम को दरगाहे फातमान में आयोजित सेमिनार में सभी धर्मों के धर्मगुरुओं ने सहभागिता की। सेमिनार में श्री संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र ने हजरत अली के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस्लाम से खतरा बताने वाले मजहब को नहीं जानते, फिर चाहे वे जिस मजहब के हों। सेमिनार में गुरुद्वारा नीचीबाग के ग्रंथी भाई धर्मबीर सिंह,वाराणसी प्रांत के विशप यूजीन जोसेफ ने भी हजरत अली के संदेश को बताया। धर्मगुरुओं ने कहा कि मौला सिर्फ मुसलमानों के नहीं बल्कि सभी के हैं। उन्होंने पूरे समाज को प्यार मोहब्बत का पैगाम दिया। सेमिनार की अध्यक्षता मौलाना नदीम असगर ने की। शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता फरमान हैदर ने अतिथियों का स्वागत कर कहा कि अली सिर्फ मुसलमानों या शियाओं के नहीं हैं। हमारे लिए हजरत अली वैसे ही हैं जैसे भगवान राम और कृष्ण। सेमिनार में हुमायू अमरोही ने कलाम पेश किया। मौलाना अहमद अली ने पवित्र कुरान का पाठ कर सेमिनार का शुरुआत की। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/संजय

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