संस्कृत विश्वविद्यालय अब करवाएगा रेगुलर डी.लिट.
संस्कृत विश्वविद्यालय अब करवाएगा रेगुलर डी.लिट.

संस्कृत विश्वविद्यालय अब करवाएगा रेगुलर डी.लिट.

जयपुर 12 नवम्बर (हि.स.)। संस्कृत भाषा में लिखे वेद-पुराणों और स्मृतियों में निहित वैज्ञानिक संदर्भों पर उच्च स्तरीय शोध को बढ़ावा दिया जाएगा। जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वबविद्यालय स्थापना के बीस साल बाद अब डीलिट पाठ्यक्रम के लिए आवेदन मागेगा। विश्वविद्यालय ने शास्त्रों के गहन अध्ययन के लिए बृहत कार्ययोजना को मंजूरी दी है। कुलपति डॉ. अनुला मौर्य की अध्यक्षता में पिछले दिनों हुई अनुसंधान बोर्ड की बैठक में यह खास निर्णय लिया गया। कुलपति डॉ. मौर्य ने बताया कि संस्कृत भाषा में लेखन को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया गया है। इससे शोधकार्य की गुणवत्ता निखारी जा सकेगी। संस्कृत में उच्चस्तरीय शोध को बढ़ावा देने के लिए अब शोधार्थी नियमित रूप से डीलिट कर सकेंगे। संस्कृत ग्रंथों के वैज्ञानिक अध्ययन को बढ़ाया जाएगा। डीलिट करने के नियमों का अनुमोदन विश्वविद्यालय के अनुसंधन बोर्ड द्वारा कर दिया गया है। डॉ. मौर्य ने बताया कि गणित, आयुर्वेद, वास्तु, भाषा और यज्ञविधान संबंधी विशिष्ट विषयों पर शोध कर उनके सामाजिक रूपांतरण के लिए विश्वविद्यालय गंभीरता से काम कर रहा है। शिक्षकों और विद्यार्थियों को वैज्ञानिक प्रोजेक्ट से जोड़ कर संस्कृत और आधुनिक विषयों के बीच सेतु स्थापित करने के लिए अनुसंधान में नई रीति जोड़ी जाएगी। अर्थशास्त्र, वाणिज्य, वनस्पति विज्ञान, पर्यावरण और ज्योतिष पर विशेष अध्ययन और शोध की कार्ययोजना तैयार की जा रही है। रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ. माताप्रसाद शर्मा ने बताया कि पीएचडी करने के बाद अब शोधार्थी डीलिट के लिए भी आवेदन कर सकेंगे। जल्द ही डीलिट पाठ्यक्रम के लिए आवेदन पत्र भरवाए जाएंगे। हिन्दुस्थान समाचार/ ईश्वर/संदीप-hindusthansamachar.in

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