विश्व की सांस्कृतिक राजधानी बनेगी अयोध्या- स्वामी गोविंद देव गिरी
विश्व की सांस्कृतिक राजधानी बनेगी अयोध्या- स्वामी गोविंद देव गिरी

विश्व की सांस्कृतिक राजधानी बनेगी अयोध्या- स्वामी गोविंद देव गिरी

श्री राम मंदिर निर्माण के लिए विहिप के निधि समर्पण अभियान प्रारंभ जयपुर, 23 दिसम्बर (हि.स.)। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी ने कहा कि अयोध्या में बनने वाला श्री राम मंदिर केवल मंदिर तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि संसार की सांस्कृतिक राजधानी बनेगा। इसी के अनुरुप तीर्थ क्षेत्र के विकास की योजना बनाई है। मंदिर निर्माण विशुद्ध रूप से गैर राजनीतिक होगा। इसे विश्व के सभी रामभक्तों की आस्था और भक्ति केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके तहत मंदिर के अनुरूप पूरी अयोध्या का विकास किया जाएगा। स्वामी गोविंद देव गिरी बुधवार को जयपुर में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। जयपुर प्रवास के दौरान उन्होंने माहेश्वरी स्कूल में मंदिर निर्माण में समर्पण निधि के लिए आयोजित प्रबुद्धजन गोष्ठी को संबोधित किया। इस गोष्ठी में प्रदेश के प्रमुख संत भी शामिल हुए। इसके बाद राजस्थान क्षेत्र समर्पण निधि अभियान समिति और मार्गदर्शक मंडल की बैठक ली। प्रबुद्धजन गोष्ठी में राजस्थान क्षेत्र की अभियान समिति के अध्यक्ष ताराचंद गोयल ने मंदिर निर्माण के लिए 1 करोड़ 11 लाख 11 हजार 111 रुपए देने की घोषणा की। वहीं समिति के सदस्य एसके पोद्दार ने उन्हें 1 करोड़ का चेक भेंट किया। पत्रकारों से चर्चा करते हुए गोविंद गिरी महाराज ने बताया कि अभियान के तहत देश के 5 लाख से अधिक गांव-ढाणियों में 11 करोड़ परिवारों से सम्पर्क कर राम मंदिर के लिए सहयोग राशि एकत्र की जाएगी। देश में 15 जनवरी से 27 फरवरी निधि समर्पण अभियान चलेगा। उन्होंने बताया कि अयोध्या में राम मंदिर 30 साल पहले तैयार किए गए नक्शे के अनुरूप ही होगा, लेकिन भव्यता के लिए इसका विस्तार किया गया है। मंदिर की ऊंचाई 130 फीट से बढ़ाकर 161 फीट की गई है। तीन के बजाय अब पांच शिखर बनाए जाएंगे। परिसर में यज्ञशाला, सत्संग भवन, संग्रहालय, अनुसंधान केंद्र आदि बनाए जाएंगे। मुख्य मंदिर के निर्माण में लोहे और सीमेंट का उपयोग नहीं किया जाएगा। इसके लिए देश की नामी आईआईटी संस्थानों के 8 विशेषज्ञों की कमेटी बनाई गई है। उन्होंने बताया कि मंदिर का निर्माण प्राचीन भारतीय वास्तुकला के आधार पर ही किया जाएगा। इस पूरी योजना में 1100 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य लिया गया है। निर्माण में धन की जरूरत और लोगों की राम मंदिर में आस्था को देखते हुए विहिप को समर्पण निधि अभियान का जिम्मा सौंपा गया है। अभियान के तहत विहिप पांच लाख गांवों में 11 करोड़ तक लोगों तक पहुंचेंगी। इसके लिए दस रुपये, सौ रुपये और एक हजार रुपये के सहयोग निधि के कूपन तैयार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर की पुर्नस्थापना के लिए श्रीराम भक्तों ने 492 वर्षों तक अनवरत संघर्ष किया है। अतीत के 76 संघर्षों में 4 लाख से अधिक राम भक्तों ने अपना बलिदान दिया। लगभग 36 वर्षों के श्रृंखलाबद्ध अभियानों के फलस्वरूप संपूर्ण समाज ने लिंग, जाति, भाषा, संप्रदाय, क्षेत्र आदि भेदों से उपर उठकर एकात्मभाव से श्रीराम मंदिर के लिए अप्रतिम त्याग और बलिदान किया। परिणामस्वरूप 9 नवंबर 1989 को श्रीराम जन्मभूमि पर शिलान्यास पूज्य संतों की उपस्थिति में अनुसूचित समाज के बंधु कामेश्वर चैपाल ने किया। आस्था का यह विषय न्यायालयों की लंबी प्रक्रिया में फंस गया था। तथापि उच्चतम न्यायालय की 5 सदस्यीय पीठ ने 9 नवंबर 2019 को सर्वसम्मति से 14 हजार वर्गफीट भूमि श्रीराम लला की बताई और इसके पक्ष में फैसला दिया। भारत सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर 5 फरवरी 2020 को श्रीराम जन्मभूमि के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास का गठन किया। 5 अगस्त 2020 को सदियों के स्वप्न संकल्प सिद्धि का अलौकिक मुहूर्त हुआ। उन्होंने बताया कि राजस्थान क्षेत्र में निधि समर्पण अभियान के लिए पूर्व तैयारी के निमित्त शहरों में बस्तियों अनुसार प्रत्येक घर के द्वार तथा ग्रामीण क्षेत्र में प्रत्येक गांव-ढाणी तक पहुंचने के लिए टोलियां बनाई है। संपर्क पर निकलने वाली टोलियों का वर्तमान में खंड व नगर स्तर पर प्रशिक्षण चल रहा है। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित-hindusthansamachar.in

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