राज्य सरकार द्वारा गौवंश संवर्धन व संरक्षण सहयोग निधि को आपदा कोष में शामिल करने का विरोध
राज्य सरकार द्वारा गौवंश संवर्धन व संरक्षण सहयोग निधि को आपदा कोष में शामिल करने का विरोध

राज्य सरकार द्वारा गौवंश संवर्धन व संरक्षण सहयोग निधि को आपदा कोष में शामिल करने का विरोध

-विहिप के आंदोलन को संत समाज का मिला समर्थन जयपुर, 08 सितबर (हि.स.)। विश्व हिन्दू परिषद् व गोवंश संरक्षण संघर्ष समिति राजस्थान के आह्वान व संतों के मार्गदर्शन में प्रदेश में संचालित गौशालाओं के सहयोग एवं समर्थन के लिए मंगलवार को पिंजरापोल गौशाला, सांगानेर में बैठक आयोजित हुई। प्रान्त प्रचार प्रमुख अभिषेक सिंह ने बताया कि विहिप की ओर से सोमवार को प्रदेशभर में 800 स्थानों पर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन तहसील व जिला स्तर पर ज्ञापन देकर स्टाम्प कानून मे किये बदलाव को वापस लेने की मांग की है। आंदोलन को प्रदेशव्यापी बनाने के उद्देश्य से आयोजित बैठक में गुजरात व राजस्थान क्षेत्र के प्रचारक गोपाल ने बैठक में प्रस्ताव रखा की राजस्थान सरकार द्वारा गौ संरक्षण एवं संवर्धन अधिनियम 2016 में एवं राजस्थान स्टाम्प अधिनियम 1988 (1999 का अधिनियम सं. 14) की धारा 3ख के अधीन संग्रहित अधिभार से प्राप्त राशि जो कि गौमाता और उसकी नस्ल के सरंक्षण और संवर्धन के प्रयोजन के लिये ही उपयोग की जायेगी में संशोधन किया गया है, तत्पश्चात उपरोक्त संशोधन उक्त राशि का उपयोग सूखा, बाढ, महामारी, लोक स्वास्थ्य अत्यावश्यकताओं इत्यादि जैसी प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाओं के शमन के प्रयोजनों के लिये भी किया जायेगा। वर्तमान में प्रदेश में लगभग 3500 से अधिक गौशालाये है, जिसमें से लगभग 1980 पंजीकृत गौशालाओं को 180 दिनों की सहायता ही मिल पाई है, लगभग 1520 गौशालाये अभी भी सहायता से वंचित है। इस संशोधन के पश्चात वर्तमान में जिन गौशालाओं को सहायता मिल रही है उनको भी सहायता नही मिल सकेगी। इस संदर्भ में राजस्थान स्टाम्प (संशोधन) अधिनियम 1988 (1999 अधिनियम सं. 14) में किये गये संशोधन को तुरन्त प्रभाव से निरस्त किये जाने एवं 200 गौवंश की बाध्यता समाप्त कर राजस्थान राज्य में पंजीकृत सभी छोटी-बडी गौशालाओं को अनुदान राशि दी जाने और प्रति गौवंश दी जा रही राशि में वृद्धि करने की और एक वितीय वर्ष में 180 दिन के स्थान पर 365 दिन की सहायता दी जाए। एक स्वर में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर एक प्रदेश स्तरीय संघर्ष समिति का गठन किया गया जो कि राज्य सरकार द्वारा गौमाता के विरुद्ध किए गए कृत्य एवं नीति को लेकर राज्य सरकार के विरुद्ध आंदोलन सम्पूर्ण प्रदेश में चलाएंगी। बैठक में रैवासाधाम पीठाधीश्वर राघवाचार्य, दिनेशगिरी, वैदेही वल्लभ, गोविंद वल्लभ, रामदास, रविन्द्रानन्द सरस्वती, गणेशानन्द, रघुनाथ, हरिशंकर वेदान्ती, हीरापुरी, सरजूदास, प्रकाशनाथ, रामस्वरूप सहित प्रमुख संतों एवं गौग्राम सेवा संघ के अध्यक्ष ललित, कामधेनु सेना के श्रवण, भारतीय गौ क्रांति के ताराचंद एवं गौशाला संचालकों ने उद्बोधन में समर्थन कर आंदोलन को सहयोग देने का आश्वासन दिया। हिन्दुस्थान समाचार/ ईश्वर/संदीप-hindusthansamachar.in

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