रक्षाबंधन सोमवार को, बाजारों से गायब हुई चायनीज राखियां
रक्षाबंधन सोमवार को, बाजारों से गायब हुई चायनीज राखियां

रक्षाबंधन सोमवार को, बाजारों से गायब हुई चायनीज राखियां

जयपुर, 01 अगस्त(हि.स.)। भाई-बहन का अटूट पर्व रक्षाबंधन सोमवार को है। कई विशेष संयोग के साथ ही इस बार सुबह साढ़े नौ बजे भद्रा समाप्त होने से बहनें दिनभर भाइयों को राखी बांध सकेंगी। वहीं रक्षाबंधन को लेकर बाजार में रौनक जरूर शुरू हुई, लेकिन कोरोना का साया भी नजर आ रहा है। राखी कारोबारियों की मानें तो राखी बाजार सिमटकर 25 फीसदी रह गया। वहीं बाजारों से चायनीज राखियां गायब होने से पहली बार रक्षाबंधन का त्योहार आत्मनिर्भरता का संदेश दे रहा है। वहीं रक्षाबंधन में एक ही दिन शेष होने पर पुरोहित का कटला, परकोटे सहित अन्य बाजारों में राखियों की दुकानें सजने लगी हैं। व्यापारियों ने बताया कि इस बार चीन निर्मित राखियों का बहिष्कार किया है। इससे दाम में करीब 10 से 20 फीसदी की वृद्धि हुई है। वहीं, धीरे-धीरे रौनक लौट रही है। पुरोहित जी का कटला, त्रिपोलिया बाजार, नाहरगढ़ रोड, राजापार्क, मालवीय नगर, सांगानेर सहित अन्य क्षेत्रों के बाजार राखी से सज गए हैं। पुरोहित जी कटला के दुकानदार राजेन्द्र मदान ने बताया कि बच्चों के लिए इस बार टिकटॉक व पब्जी वाला भाई की रााखियां खास है। टेडी बीयर, स्पाइडर मैन के साथ ही म्यूजिकल राखियां, डोरेमोन सहित अन्य कार्टून कैरेक्टर व बैंड चश्मा वाली राखी भी ग्राहकों को आकर्षित कर रही है। स्वदेशी राखियां बनी पहली पसंद बाजार में इस बार ग्राहक स्वदेशी राखियों को पसंद कर रहे है। इस बार भाइयों कलाई पर विदेशी नहीं स्वदेशी राखियां बंधेगी। लोगों ने घरों से चीन निर्मित राखी को निकाल दिया है और स्वदेशी राखियों को घरों व मोहल्लों तक पहुंचना शुरू कर दिया है। यह राखियां चीन की राखियों को ही नहीं बल्कि उसके कम दाम को भी टक्कर दे रही है। घरों में राखियां पारंपरिक व आसानी से मिलने वाले उत्पादों व वेस्ट वस्तुओं से तैयार की जा रही है। राखी बना रहीं रेखा ने बताया कि ऐसे तो कई सालों से राखी घर में बना रही है। लेकिन इस बार चीन से मनमुटाव के बाद कुछ अलग स्वेदशी राखियां तैयार हो रही है। घर में बनी राखियों की कीमत चीन के मुकाबले कम है और दिखने में खूबसूरत भी है। राखियों की कीमत 10 से 500 रुपए तक है। वहीं चीन की राखियों में डाई किया हुआ धागा इस्तेमाल होता है, जो तुरंत रंग छोडऩे लगता है। भारतीय राखियों में इस्तेमाल होने वाला धागा रंग नहीं छोड़ता है। कोरोना महामारी का साया नजर आ रहा है,25 फीसदी पर ही सिमटा कारोबार जयपुर में रक्षाबंधन से करीब एक- डेढ माह पहले राखियों का कारोबार शुरू हो जाता है। इस बार राखी बाजार में कोरोना महामारी का साया नजर आ रहा है। वहीं बाजार में चायनीज राखियां भी नहीं बिक रही है। राखी कारोबारी राकेश अ्ग्रवाल ने बताया इस बार बाजार में राखियों की ग्राहकी पिछले 10 दिन से ही शुरू हुई है। राखी का कारोबार सिर्फ 25 फीसदी ही रह गया है। इस बार चायनीज राखियां नहीं आई है। निभाई जाएगी श्रवण जीमाने की परंपरा रक्षाबंधन पर श्रवण लिखना और जीमाने की परंपरा आज भी साकार हो रही है। जयपुर में हर घर के गेट के दोनेां ओर श्रवण लिखा जाता है। इस बार रक्षाबंधन के पहले दिन रविवार को घर के दरवाजों के दोनों ओर श्रवण लिखे जाएंगे। दिनभर श्रवण लिखने का मुहूर्त रहेगा। ज्योतिषाचार्य गौरव गौड ने बताया कि रविवार रात 9 बजकर 29 मिनट से भद्रा शुरू होगी, जो रक्षाबंधन के दिन सोमवार को सुबह 9 बजकर 29 मिनट तक ही भद्रा रहेगी। भद्रा के बाद श्रवण को जीमाया जाएगा। वहीं बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांध सकेगी। हिन्दुस्थान समाचार/दिनेश/ ईश्वर-hindusthansamachar.in

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