बहुला चतुर्थी मनाई, गायों की पूजा-अर्चना की
बहुला चतुर्थी मनाई, गायों की पूजा-अर्चना की

बहुला चतुर्थी मनाई, गायों की पूजा-अर्चना की

जोधपुर, 07 अगस्त (हि.स.)। बहुला चतुर्थी पर शुक्रवार को जगह-जगह गायों की पूजा के साथ भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की भी पूजा-अर्चना की गई। सनातन धर्म में भाद्रपद महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्थी का बहुत महत्व है और इसे बहुला चतुर्थी या बहुला चौथ कहा जाता है। इस दिन गाय के दूध और उससे बनी चीजों का उपयोग नहीं किया जाता है, बल्कि उसके बछड़े को ही पूरा दूध पिलाया जाता है। गाय और उसके बछड़े की पूजा भी की जाती है। इस दिन गाय और उसके बछड़े की पूजा की कहानी द्वापर युग से संबंधित है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार कामधेनु नाम की गाय ने अपने अंश से बहुला नाम की गाय बनाई। भगवान श्रीकृष्ण को भी इस गाय से बेहद प्रेम था। एक दिन श्रीकृष्ण ने उसकी परीक्षा ली। वे शेर के रूप में बहुला के पास पहुंचे और उसे खाने लगे। तब बहुला ने विनति की कि उसका बछड़ा भूखा है, उसे दूध पिलाकर वो आपका आहार बनने वापस आ जाएगी। शेर नहीं माना तो बहुला ने धर्म और सत्य की शपथ ली और कहा कि वो जरूर वापस आएगी। इस पर श्रीकृष्ण रूपी शेर ने जाने दिया। बहुला ने अपने बछड़े को दूध पिलाया और शेर का शिकार बनने वापस आ गई। उसका वात्सल्य और सत्यनिष्ठा देख श्रीकृष्ण ने असल रूप में आते हुए आशीर्वाद दिया कि गौ-माता के रूप में भाद्रपद चतुर्थी के दिन जो तुम्हारी पूजा करेगा उसे धन और संतान का सुख मिलेगा। यही कारण है कि इस दिन महिलाएं अपने बच्चों के सुख के लिए व्रत करती हैं। इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा करने से परिवार में सुख और समृद्धि बढ़ती है। हिन्दुस्थान समाचार/सतीश/संदीप-hindusthansamachar.in

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