पंचायत चुनाव:  ‘माइक्रो कोरोना मैनेजमेंट‘ से हुआ सुरक्षित और रिकॉर्ड मतदान
पंचायत चुनाव: ‘माइक्रो कोरोना मैनेजमेंट‘ से हुआ सुरक्षित और रिकॉर्ड मतदान

पंचायत चुनाव: ‘माइक्रो कोरोना मैनेजमेंट‘ से हुआ सुरक्षित और रिकॉर्ड मतदान

जयपुर, 12 अक्टूबर(हि.स.)। कोरोना महामारी के बीच प्रदेश में हुए पंचायत चुनाव के चारों चरण सुरक्षित और सफलतापूर्वक पूरे हो चुके हैं। इन चरणों में प्रदेश के 82.78 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है। महामारी के दौर में हुआ प्रचंड मतदान पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। देश के अन्य राज्य राजस्थान में राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा किए गए कोरोना प्रबंधन की थाह लेने की कोशिश कर रहे हैं। इसी बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रदेश के सबसे ज्यादा संक्रमित जयपुर, जोधपुर और कोटा शहरों में नगर निगमों में सुरक्षित चुनाव का भी बीड़ा उठाया है। जब राज्य में पंचायत चुनाव की घोषणा हुई तो किसी को भी यकीन नहीं था कि कोरोना जैसी महामारी के साये में पंचायत चुनाव भी हो सकते हैं लेकिन आयोग की टीम स्थानीय प्रशासन के जरिए मतदाताओं को यह विश्वास दिलाने में कामयाब हो गई कि यदि सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए मतदाता सहयोग करेंगे तो ‘सुरक्षित चुनाव‘ संभव हैं। इसी थीम को ध्यान में रखते हुए आयोग ने सभी कलेक्टर्स और पुलिस, मेडिकल के अधिकारियों के साथ मंत्रणा शुरू कर दी। पूरी टीम के प्रयासों का ही नतीजा रहा कि मतदाता न केवल घर से निकले बल्कि अपनी सरकार को भी निर्भीक होकर चुन पाए। राज्य में हुए पंचायत चुनाव को दो तरीकों से देखा जा सकता है। प्री-कोविड यानी जनवरी माह में हुए प्रथम चरण के चुनाव और पोस्ट कोविड यानी सितंबर-अक्टूबर के चुनाव। सामान्य हालात में हुए प्रथम चरण के चुनावों 83.85 प्रतिशत मतदान हुआ। कोरोना के संक्रमण के दौरान लग रहा था कि मतदाता मतदान के लिए घर से बाहर नहीं निकल पाएंगे लेकिन आयोग द्वारा कोरोना के तैयार माइक्रो मैनेजमेंट प्लान को देख न केवल मतदाता बाहर निकले बल्कि रिकॉर्ड 82.25 फीसद मतदान कर साबित कर दिया कि आयोग द्वारा संक्रमण के नियंत्रण के लिए तैयार रणनीति उन्हें खासी रास आई है। पंचायत के प्री और पोस्ट कोविड को भी देखा जाए तो आठों चरणों को मिलाकर 82.78 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया है। आयोग की मंशा थी कि कोई भी मतदाता बिना मास्क के मतदान केंद्रों में प्रवेश नहीं करे ताकि संक्रमण का प्रसार ना हो। मतदाताओं ने भी इस मंशा को बखूबी समझा और मास्क लगाकर ही मतदान केंद्रों पर पहुंचे। पहले चरण में आयोग को लगा कि पुरुष तो मास्क लगाकर आ रहे हैं लेकिन महिलाएं बतौर मास्क अपने पल्लू या आंचल को काम ले रही हैं। इससे संक्रमण की आशंका को देख अगले चरणों के लिए आयोग ने ‘घूंघट में भी मास्क‘ का नारा दिया। मतदाता सतर्क और सजग थे, आयोग के नारे को हाथोंहाथ लिया। यही वजह रही कि तीसरे और चौथे चरण में मतदाताओं की कतारों में महिला मतदाता घूंघट होने पर भी मास्क में नजर आईं। इस बार के पंचायत चुनाव पर पूरे देश की नजर थी। आयोग ने कोरोना संक्रमित व्यक्ति को मतदान करने और उम्मीदवार बनने का मौका दिया। आयोग ने इसके लिए विशेष रणनीति बनाई और मेडिकल द्वारा सुझाए सभी प्रोटोकॉल की पालना के साथ सुरक्षित मतदान का मौका भी दिया। आयोग ने प्रचार के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के लिए उम्मीदवारों और उनके समर्थकों को डोर टू डोर 5 व्यक्ति से ज्यादा नहीं जाने, प्रचार के दौरान मास्क लगाने, सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए 2 गज की दूरी बनाने, प्रचार के समय उम्मीदवारों व समर्थकों द्वारा निश्चित समय के अंतराल में हाथों को सेनेटाइज करने और प्रचार के दौरान मतदाताओं एवं अन्य व्यक्तियों से हाथ ना मिलाने, गले ना लगने और ना ही पैर छूने के निर्देश दिए, जिसे आमजन ने स्वीकारकर सजगता भी बताई। हिन्दुस्थान समाचार/संदीप / ईश्वर-hindusthansamachar.in

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