नवाचार आधारित कृषि उद्यमशीलता की संस्कृति को बढ़ावा देना आवश्यक - राज्यपाल
नवाचार आधारित कृषि उद्यमशीलता की संस्कृति को बढ़ावा देना आवश्यक - राज्यपाल

नवाचार आधारित कृषि उद्यमशीलता की संस्कृति को बढ़ावा देना आवश्यक - राज्यपाल

-एमपीयूटी के 14वें दीक्षान्त समारोह में राज्यपाल ने प्रदान की 712 उपाधियां व 32 स्वर्ण पदक उदयपुर, 24 दिसम्बर (हि.स.)। बदलते परिवेश व शिक्षा नीति में कृषि शिक्षा, शोध व प्रसार नवाचार, प्रेरणा तथा प्रदीपन के सिद्धांत पर आधारित हो जिससे हम सम्पूर्ण समाज का पथ प्रदर्शन कर सकें। इस दिशा में हमें कठोर श्रम और साधना करनी होगी। यह बात राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने गुरुवार को उदयपुर के महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के चैहदवें दीक्षान्त समारोह में कही। ऑनलाइन व ऑफलाइन मिक्स तकनीक पर हुए इस दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल ने युग पुरुष महाराणा प्रताप और उनकी कर्मभूमि मेवाड़ को नमन करते हुए कहा कि महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा जारी की गई रेंकिंग सूची में विगत वर्ष के 51वें स्थान से 26वें स्थान पर आ गया है। इसके साथ ही राज्य के छह कृषि एवं पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों में प्रथम स्थान पर यह विश्वविद्यालय स्थापित हुआ है। यह हम सबके लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि उनका यह मानना है कि देश के सभी नागरिकों के लिये सतत् आजीविका सुनिश्चित करने के लिए बड़े पैमाने पर उद्यमिता को तीव्र गति से सशक्त करना तथा नवाचार आधारित उद्यमशीलता की संस्कृति को बढ़ावा देना आवश्यक है। इसी से देश में अधिकाधिक रोजगार सृजित हो सकते हैं। उन्होंने इस अवसर पर राजस्थान कृषि महाविद्यालय की छात्रा दीपिका कल्याण को कुलाधिपति पदक से नवाजा एवं साथ ही 712 उपाधियां एवं 32 स्वर्ण पदक प्रदान किये। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि माननीय कृषि मंत्री लाल चन्द कटारिया ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों के लिए बधाई देते हुए कहा कि आज पूरा विश्व खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों को लेकर गहरी चिंता में है। अनुमान है कि सन् 2050 तक विश्व की खाद्य मांग दुगुनी हो जायेगी। जलवायु परिवर्तन के कारण सूखे और बाढ़ ने देश के खाद्य सुरक्षा के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका को भी खतरे में डाल दिया है। इन समस्याओं को देखते हुए हमारे देश व राज्य में हर व्यक्ति को खाद्य सुरक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है। हम निरन्तर प्रयासरत हैं कि खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाकर इस चुनौती से निपटा जाए। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2030 में देश को 345 मिलियन टन खाद्यान्न की आवश्यकता होगी। राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण, नई दिल्ली के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. अशोक दलवई ने कहा कि हमारा भविष्य जैव-अर्थव्यवस्था पर आधारित है। उन्होंने विद्यार्थियों का आव्हान करते हुए कहा कि आने वाली सदी में नवीकरणीय वस्तुओं के आधार पर हमारी अर्थव्यवस्था का विकास होगा। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए आपको एक अच्छे उद्यमी, शिक्षाविद् एवं वैज्ञानिक के तौर पर कार्य करना होगा। विश्वविद्यालय परीक्षा नियन्त्रक डॉ. सुनील इन्टोडिया ने बताया कि विश्वविद्यालय के वर्ष 2019-20 में कृषि, अभियान्त्रिकी, गृह विज्ञान, डेयरी व खाद्य प्रोद्यौगिकी एवं मात्स्यकी संकायों में उत्तीर्ण 589 स्नातक उपाधियां, 80 स्नातकोत्तर एवं 43 पीएचडी की उपाधियां प्रदान की गई। इस वर्ष दीक्षान्त समारोह मे श्रेष्ठ विद्यार्थियों को स्नातक स्तर पर 13, स्नातकोत्तर स्तर पर भी 13 एवं पीएचडी स्तर पर 3 स्वर्ण पदक प्रदान किये गये। इसके अतिरिक्त कृषि संकाय में एक कुलाधिपति स्वर्ण पदक, इंजीनियरिंग संकाय मे स्नातक स्तर एवं स्नातकोत्तर स्तर पर 1 - 1 श्रेष्ठ विद्यार्थी को जैन इरीगेशन स्वर्ण पदक प्रदान शामिल हैं। इस प्रकार इस दीक्षान्त समारोह में कुल 712 उपाधियां एवं 32 स्वर्ण पदक प्रदान किये गये। इस वर्ष स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले 32 विद्यार्थियों में से 15 छात्राएं एवं 589 स्नातक उपधियां प्राप्त करने वालों में से 136 छात्राएं थीं। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीता कौशल-hindusthansamachar.in

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