नरेगा से मिला खेतों में रोजगार और बढ़ेगी हरियाली
नरेगा से मिला खेतों में रोजगार और बढ़ेगी हरियाली

नरेगा से मिला खेतों में रोजगार और बढ़ेगी हरियाली

झुंझुनू, 23 अगस्त (हि.स.)। महात्मा गांधी नरेगा योजना में झुंझुनू जिले में लॉक डाउन के दौरान कोरोना काल में लोगों ने रोजगार मांगकर गत वर्षों का रोजगार का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा नरेगा के अतिरिक्त जिला समन्वयक रामनिवास जाट के अनुसार गत चार सालों में प्रतिवर्ष औसत 24 लाख रोजगार दिवस सृजित किए गए थे। जबकि इस साल प्रथम साढ़े चार माह में अर्थात एक तिहाई समय में ही 20 लाख रोजगार दिवस सृजित कर दिए गए। नरेगा वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार नरेगा श्रमिकों की मजदूरी पेटे गत चार साल के दौरान औसत प्रतिवर्ष 32 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। जबकि इस साल की प्रथम एक तिहाई अवधि में ही मजदूरी पेटे 32 करोड़ 80 लाख रुपए का खर्चा किया गया है। गत वर्ष तक जिले में कुल रोजगार में से 60 प्रतिशत से अधिक जोहड़ खुदाई जैसे मिट्टी इधर उधर करने के काम हुए। जबकि इस साल जून के बाद जोहड़ खुदाई के सभी कार्य अनुपयोगी मानकर बंद कर दिए गए तथा लोगों के खेतों में कुंड, कैटल शैड, पौधारोपण जैसे तीन हजार से अधिक कार्यों पर मानसून के दौरान भी 35 हजार श्रमिकों को प्रतिदिन रोजगार दिया जा रहा है। सामान्यतः धारणा रहती है कि झुंझुनू जिले में नौकरियों तथा सिंचित खेती होने के कारण नरेगा जैसी कम मजदूरी वाली योजना में लोग रोजगार नहीं मांगते। परंतु लॉक डाउन के दौरान कोरोना काल में लोगों ने रोजगार मांगकर गत वर्षों का पूरे साल का रोजगार का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। उल्लेखनीय है कि जुलाई माह में पूरे राजस्थान में 53 लाख श्रमिक नरेगा में नियोजित थे। जो अगस्त के तीसरे सप्ताह में केवल 18 लाख रह गए। जबकि झुंझुनू जिले में इस अवधि में 40 हजार से 35 हजार अर्थात केवल पांच हजार श्रमिक कम हुए हैं। जिले में वर्तमान में नियोजित 35 हजार श्रमिकों में से 24 हजार अर्थात 70 प्रतिशत श्रमिक अपने खेतों में मस्टररोल पर सुधार कर रहे हैं। नरेगा कार्यों का रुख खेतों की ओर मोड़ देने के कारण अब जिले में किसी जोहड़, रास्ते या सड़क के नरेगा कार्य पर भीड़ नहीं दिखती है। हिन्दुस्थान समाचार / रमेश सर्राफ / ईश्वर-hindusthansamachar.in

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