देश के ज्यादातर अंग्रेजी और हिंदी समाचार पत्रों में सेल्फ आइडेंटिटी की कमी- उपासने
देश के ज्यादातर अंग्रेजी और हिंदी समाचार पत्रों में सेल्फ आइडेंटिटी की कमी- उपासने

देश के ज्यादातर अंग्रेजी और हिंदी समाचार पत्रों में सेल्फ आइडेंटिटी की कमी- उपासने

जयपुर, 30 अक्टूबर(हि.स.)। प्रसार भारती, रिक्रूटमेंट बोर्ड चेयरमैन जगदीश उपासने का कहना है कि प्रेस यानि प्रिंट मीडिया ने अपना काम बखूबी किया है, उसमें विश्वसनीयता देखने को मिलती है, लेकिन जब से प्रेस, मीडिया बना है, उसमें कुछ तब्दीलियां आयी हैं। देश के ज्यादातर अंग्रेजी और हिंदी समाचार पत्रों में सेल्फ आइडेंटिटी की कमी है। उपासने मणिपाल विश्वविद्यालय, जयपुर में गुरुवार को आयोजित लीडरशिप वेबिनार सीरीज के तहत 'पत्रकारिता- चुनौतियां और अवसर' विषय पर बतौर अतिथि बोल रहे थे। कार्यक्रम का मॉडरेशन प्रोफेसर अमिताभ श्रीवास्तव, डायरेक्टर, पत्रकारिता एवं जन संचार विभाग ने किया। प्रो. शिवा प्रसाद एच सी. डायरेक्टर, स्कूल ऑफ़ ऑटोमोबाइल एंड मेक्ट्रोनिक्स ने अतिथियों का स्वागत किया और उन्हें यूनिवर्सिटी के बारे में अवगत कराया। उपासने का कहना था कि देश के ज्यादातर अंग्रेजी और हिंदी समाचार पत्रों में सेल्फ आइडेंटिटी की कमी है। हम वेस्टर्न थॉट की ही ज़ेरॉक्स कॉपी हैं। उन्होंने कहा कि एक समय था जब संपादक समाचार मालिक की पालिसी से इतर होते हुए भी खबर प्रकाशित करता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि डिजिटल पोर्टल चलाना आज भी घाटे का सौदा है भले ही लोग कंटेंट देख रहे रहे हैं लेकिन उसे मोनेटाइज कर पाना आज भी एक चुनौती है। उन्होंने स्टूडेंट्स को सम्बोधित करते हुए कहा कि कंटेंट की मांग हमेशा बनी रहेगी। जिसमें कंटेंट समझने का हुनर हो, उसे जॉब की कोई दिक्कत नहीं है, पर जरूरत है कि आप में बिज़नेस माइंड भी हो। संस्कृतियों के बीच में संवाद से जुड़े एक सवाल पर उपासने का कहना था कि आज जरूरत है कि संचार के सभी पहलुओं को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाये. डोमेन एक्सपरटीज की देश में बहुत कमी है। अगर डोमन एक्सपर्ट्स हम तैयार कर लें तो, उन्हें कम्यूनिकेट करना उतना मुश्किल नहीं होगा। इस कार्यक्रम में माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता और संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर के जी सुरेश ने कहा कि आज पत्रकारिता के वही प्लेटफॉर्म्स बेहतर चल रहे हैं, जिनका एक अलग रेवेन्यू जनरेशन एक्सटेंशन है, और यह एक कटु सत्य है । जनरल स्टडीज और संस्कृति से जुड़े एक सवाल पर के जी सुरेश ने कहा कि नयी शिक्षा प्रणाली अब बहु-विषयी और बहु-भाषायी एप्रोच पर जोर दे रही है। उनका कहना था पत्रकारिता के पाठ्यक्रम आज सभी विषय, जैसे भूगोल, इतिहास, संविधान आदि को पढ़ाएं। यह दुखद है कि अब पुस्तकालयों का प्रयोग कम हो गया है। के जी सुरेश ने पत्रकारिता के कई पहलुओं जैसे, विकास संचार, स्वास्थ्य संचार पर विचार रखें. उनका कहना था कि हमें आज पत्रकारों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है, क्योंकि ये वो मुद्दे जो सीधे समाज से जुड़े हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा, कोरोना काल के बाद बहुत जरूरी है कि स्कूल लेवल से बच्चों को प्रशिक्षित किया जाये, ताकी जब वह कोर्स के बाद रिपोर्टिंग करें तो सही जानकारी लोगों तक पहुंचाएं। हिन्दुस्थान समाचार/संदीप / ईश्वर-hindusthansamachar.in

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