इस साल 21 दिसंबर को 20 सालों बाद शनि के नजदीक होगा बृहस्पति
जयपुर, 30 नवम्बर (हि. स.)। ग्रहराज बृहस्पति संध्याकाश में इनदिनों पश्चिमी क्षितिज पर है। मकर पर सवार बृहस्पति सफेद उज्ज्वल आभा में तारों से काफी ज्यादा चमकदार है। एक छोटी दूरबीन या बाइनोकुलर से उसके इर्द-गिर्द घूम रहे चार बड़े चन्द्रमा आसानी से देखे जा रहे हैं। 21 दिसम्बर को यह शनि ग्रह के एकदम पास पहुंच जाएगा। यह संयोग लगभग 20 सालों में एक बार बनता है। इस बार आकाशीय पटल पर इनकी आपसी दूरी बहुत ही कम है। आकाशीय ग्रह-नक्षत्रों की दशा-दिशा की मॉनिटरिंग करने वाली संस्था बीएम बिरला प्लेटेनोरियम के सहायक निदेशक संदीप भट्टाचार्य ने दिसम्बर में अपनी चाल बदलने वाले ग्रहों का आकलन किया है। उन्होंने बताया कि बुध को छोड़ बाकी चार प्रमुख ग्रह रात्रि आसमान की शोभा बढ़ा रहे हैं। संध्याकाश में मंगल, बृहस्पति व शनि तथा भोर में शुक्र ग्रह आपनी छटा बिखेर रहे हैं। झिलमिलाते-टिमटिमाते सितारों के बीच कोरी आंखों से ही इन्हें पहचाना जा सकता है। सबसे छोटा ग्रह बुध 1 दिसम्बर से सूर्य की प्रभा में पूरे माह हमारी नजरों से ओझल रहेगा। सबसे चमकदार ग्रह शुक्र भोर का तारा बनकर पूर्वी क्षितिज पर सभी को अनायास अपनी ओर लुभा रहा है। यह दिन-प्रतिदिन धीरे-धीरे नीचे सरक रहा है। सूर्योदय से आधा घण्टा पहले पूर्वी क्षितिज पर दमकते शुक्र को आसानी से पहचाना जा सकता है। उन्होंने बताया कि महारथी मंगल अपने शानदार प्रदर्शन के बाद धीरे-धीरे सामान्य चमक में लौट आया है। माह के अंत तक इसकी रंगत एक साधारण तारे जैसी रह जाएगी। अंधेरा घिरते ही लाल ग्रह को पूर्वी क्षितिज से लगभग 45 डिग्री उपर पहचाना जा सकता है। यह दिनों दिन क्षितिज से ऊपर उठ रहा है और माह के अंत तक 60 डिग्री पर पहुंच जाएगा। वलयधारी शनि मकर राशि में पश्चिमी क्षितिज पर है। चमकदार बृहस्पति से थोड़ा पूर्व दिशा की तरफ यह एक चमकदार तारे जैसा नजर आ रहा है। 21 दिसम्बर के बाद शनि, बृहस्पति के पश्चिम में होगा। धीरे-धीरे माह अंत तक दोनों ग्रह पश्चिमी क्षितिज पर अधिक नीचे उतर जाएंगे। छोटी दूरबीन से बृहस्पति के चन्द्रमा व शनि के वलय एक साथ देखे जा सकेंगे। उन्होंने बताया कि चन्द्रमा 12 को शुक्र, 17 को बृहस्पति व शनि तथा 23 दिसम्बर को मंगल ग्रह के आस-पास रहेगा। 12 दिसम्बर को यह शुक्र को आच्छादित करेगा। यह नजारा भारत में नजर नहीं आएगा। इस माह पूर्वी क्षितिज पर छटा बिखेरते प्रसिद्ध एवं भव्य तारामण्डल कालपुरुष, सारथी, बृहल्लुब्धक, बृषभ तथा मिथुन बड़े ही आकर्षक लग रहे हैं। यह पूरा इलाका चमकदार नक्षत्रों से भरा पड़ा है। रंग-बिरंगे चमकदार तारों से सजे इस तारामण्डलों को अगुवाई इस समय महारथी मंगल कर रहा है। चार चमकदार तारों द्वारा बनाए गए आयत के भीतर तीन तारे एक ही पंक्ति में है। यह कालपुरुष मण्डल या मृगशीर्ष है। सूर्य 21 दिसम्बर को उत्तरायण होगा। यानी इस दिन दोपहर बारह बजे दक्षिणी क्षितिज से सूर्य की ऊंचाई निम्नतम होगी। परिणामस्वरूप सबसे छोटा दिन और सबसे लम्बी रात होगी। सूर्य दिसम्बर में वृश्चिक से निकल धनु राशि में प्रवेश करता है। 14 दिसम्बर अमावस्या के दिन खग्रास सूर्यग्रहण संयोग बन रहा है। यह खगोलीय घटना भारत में नजर नहीं आएगी। प्रकृति के इस अनुपम दृश्य को दक्षिणी अमेरिका, पश्चिम-दक्षिण अफ्रीका, अंटार्कटिका आदि क्षेत्र से देखा जा सकेगा। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप-hindusthansamachar.in