असम और राजस्थान के संगीत व वाद्ययंत्रों के बीच है एक अनोखा जुड़ाव
असम और राजस्थान के संगीत व वाद्ययंत्रों के बीच है एक अनोखा जुड़ाव

असम और राजस्थान के संगीत व वाद्ययंत्रों के बीच है एक अनोखा जुड़ाव

जयपुर, 26 अगस्त (हि.स.)। पत्र सूचना कार्यालय जयपुर की ओर से बुधवार को राजस्थान और असम की संगीत विरासत और सांस्कृतिक संबंधों पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन भारत सरकार की 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' योजना के अंतर्गत किया गया। वेबिनार में असम और राजस्थान के सभी प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए पत्र सूचना कार्यालय जयपुर (रीज़न) की अपर महानिदेशक डॉ. प्रज्ञा पालीवाल गौड़ ने एक भारत श्रेष्ठ भारत को एक अनूठी पहल बताते हुए इसे राष्ट्रीय एकता, सौहार्द एवं सद्भावना के दिशा में बेहद महत्वपूर्ण बताया। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता राजस्थान की मशहूर ध्रुवपद गायिका डॉ. मधु भट्ट तैलंग ने राजस्थान की समृद्ध संगीत एवं लोक गीतों की विरासत पर अपना संबोधन दिया। डॉ. भट्ट ने राजस्थान के शास्त्रीय संगीत में योगदान का उल्लेख किया साथ ही उन्होंने लोक संगीत परंपराओं, लोकगीतों की चर्चा करते हुए भक्ति संगीत में असम और राजस्थान के बीच काफी समानताओं का उल्लेख किया। वेबिनार में भाग लेते हुए असम के लोक संगीत क्षेत्र में संगीत रत्न की उपाधि से सम्मानित माधव कृष्ण दास ने बोडो जनजाति द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सैरजा़ से लेकर दोतारा, तोकारी, गोगोना, भोरताल, एकतारा समेत विभिन्न वाद्य यंत्रों को वेबीनार में प्रस्तुत किया और साथ ही उन्हें बजाते हुए राजस्थानी लोक वाद्य यंत्रों के साथ उनकी समानता को बहुत ही बारीकी से प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में प्रादेशिक लोक संपर्क ब्यूरो, जयपुर की कलाकार संगीता घोष ने असम के प्रसिद्ध बिहू गीत की प्रस्तुति भी दी। हिन्दुस्थान समाचार/ ईश्वर/संदीप-hindusthansamachar.in

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