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अभिभावकों पर काम-धंधे की मार, स्कूलों की बड़ी हुई फीस का वार

जयपुर, 03 अप्रैल (हि.स.)। गत एक वर्ष से कोरोना ने प्रदेश के अभिभावकों के जीवन को झकझोर दिया है जिसका सीधा असर ना केवल अभिभावकों देखने को मिल रहा है बल्कि उनके परिवारों और बच्चों तक मे इसका असर देखा जा सकता है। इन सब के बावजूद राज्य सरकार, शिक्षा विभाग और प्रशासन को लगातार शिकायतें देने के बाद कार्रवाई ना होने से उनके प्रति विश्वास भी टूट चुका है। संयुक्त अभिभावक संघ ने कहा कि आज प्रदेश का अभिभावक सभी तरफ से लाचार बनकर रह गया है। पहले ही काम-धंधे की मार ने उनके जीवन पर गहरा असर डाला है। अब पिछले सत्र के साथ-साथ नए सत्र की बड़ी हुई स्कूल फीस के वार ने भी चिंता बड़ा दी है, अभिभावकों के जेहन में अब सवाल खड़े हो रहे है। प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू के अनुसार प्रदेश का अभिभावक कोरोना महामारी से तो लाचार हो ही रहा था किंतु बिना पढ़ाई, बिना स्कूल गए बच्चों की स्कूल फीस ने संकट खड़ा कर दिया। यह स्थिति पिछले सत्र की थी इस वर्ष के नए सत्र में निजी स्कूलों ने 10 से 25 फीसदी तक स्कूलों की फीस बढ़ा दी है जिससे अभिभावक ना केवल चिंतित है बल्कि अपने आपको प्रताडि़त तक महसूस कर रहा है। राज्य सरकार, शिक्षा विभाग और प्रशासन अभिभावकों की पीड़ाओं को सुनने की बजाय उन्हें खदेड़ देते है, स्कूलों के द्वार पर जाते है तो अभिभावकों को असामाजिक तत्व घोषित कर पाबंद करने की साजिश रचते है। गत दिनों निजी स्कूलों के प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन ने जयपुर पुलिस कमिश्नर को शिकायत दर्ज करवाई तो तत्काल कार्यवाही करते हुए अभिभावक संगठनों के तलब कर दिया, वहां आश्वासन दिया गया कि स्कूलों से जो शिकायत है वह हमें देंवे किन्तु शिकायत दर्ज करवाई गई तो अभी तक कोई कार्यवाही नही हुई। निजी स्कूल संचालक ना राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को स्वीकार कर रहे और ना सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को स्वीकार कर रहे है। प्रदेश विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी व प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि अभिभावकों को निजी स्कूलों की हठधर्मिता को बर्दाश्त नही करना चाहिए, इसके लिए जिला शिक्षा अधिकारी और राज्य सरकार को अपनी शिकायत दर्ज करवानी चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ ईश्वर

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