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हंसी के साथ सच की कांटों भरी राह समझा गई ‘अजब चोर की गजब कहानी’

- उदयपुर के लोक कला मण्डल में राजस्थानी नाट्य समारोह शुरू उदयपुर, 26 मार्च (हि.स.)। उदयपुर के लोक कला मण्डल में विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर राजस्थानी नाट्य समारोह का आगाज गुरुवार देर शाम हंसी और व्यंग्य से भरे नाटक ‘‘अजब चोर की गजब कहानी’’ से हुआ। भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डाॅ. लईक हुसैन ने बताया कि भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर एवं दी परफोरमर्स कल्चरल सोसायटी, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में 25 से 27 मार्च तक विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर विभिन्न नाटकों का मंचन हो रहा है। पहले दिन ‘‘अजब चोर की गजब कहानी’’ का मंचन हुआ जिसका निर्देशन अशोक राही, जयपुर द्वारा किया गया। नाटक राजस्थान के प्रसिद्ध कथाकार विजयदान देथा की कहानी ‘‘चरण दास चोर’’ पर आधारित है जिसका नायक एक छोटा-मोटा चोर है, जो हंसी मजाक में अपने गुरु को सच बोलने का वचन दे देता है। साथ ही चार और प्रतिज्ञाएं कर लेता है कि कभी वह सोने की थाली में भोजन नहीं करेगा, हाथी की सवारी कर नगर में जुलूस नहीं निकालेगा, किसी रानी से ब्याह नही करेगा और किसी देश का राजा बनना स्वीकार नहीं करेगा। चोर झूठ बोले बिना चोरी करता है। उसकी सच्चाई और ईमानदारी का डंका पूरे देश में बज उठता है। वो अपनी जिन्दगी की सबसे बड़ी और आखिरी चोरी राज खजाने से करता है। उसकी सच्चाई से राजरानी उस पर मर मिटती है। चोर को रानी हाथी के हौदे पर बैठा कर राजमहल में बुलाकर सम्मान देना चाहती है। सोने की थाली में भोजन परोसा जाता है, रानी उसके समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखते हुए राजा बनाना चाहती है, परन्तु गुरु को दिये वचनों को निभाते हुए चोर मना कर देता है। रानी सारा कुछ सहन करते हुए विनती करती है कि महल में जो कुछ हुआ वह बाहर जाकर किसी से नहीं कहे, परन्तु चोर ने सच बोलने का भी तो प्रण लिया था, अतः वह इस बात से भी इनकार कर देता है। इससे गुस्से में आकर रानी उसे मौत की सजा देती है। अपने गुरु को दिये वचनों को निभाते हुए अन्त में चोर मौत को गले लगा लेता है। नाटक की मुख्य भूमिका में नितिन जैन, प्रतिभा पारीक, अपेक्षा जैन, मनीष कुमार, संजय महावर, राहुल कुमार, हनी मिश्रा, राॅनी सिंह, अक्षय काष्टिया, जय सोनी, खालिद खान, साहिल अरोड़ा, यशंवत सिंह, रजत शर्मा, रितिक पंकज, विनय, लोकेन्द्र सिंह, रविकान्त थे एवं गीतकार -कैलाश मनहर, संगीतकार - मुकेश वर्मा सोनी, ढोलक पर प्रदीप पारीक थे। सामारोह के दूसरे दिन 26 मार्च शुक्रवार को डाॅ. लईक हुसैन द्वारा निर्देशित नाटक ‘‘मास्टर साहब’’ जो गुरुवर रवीन्द्र नाथ टैगोर की कहानी पर आधारित है, प्रस्तुत होगा। समारोह के अंतिम दिन 27 मार्च को कुलदीप शर्मा, जयपुर द्वारा निर्देशित नाटक ‘‘करम पजोखी’’ का मंचन किया जाएगा। समारोह की प्रस्तुतियां प्रतिदिन सायंकाल 7ः 15 बजे प्रारम्भ होगी। संस्था के 1500 दर्शकों की क्षमता वाले मुक्ताकाशी खुले रंगमंच में मात्र 200 लोगो को ही प्रवेश दिया जाएगा। प्रवेश निःशुल्क है। कोविड-19 की गाइड लाइन की अनुपालना अनुसार मास्क नहीं होने पर प्रवेश वर्जित है। प्रवेश पहले आओ पहले पाओ आधार पर ही उपलब्ध कराया जाएगा। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीता कौशल/संदीप

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