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हम हताश होने वाले नहीं वरन् जीतने के विश्वास वाले हैं‘‘-हनुमानसिंह राठौड़

अजमेर, 23 मई(हि.स.)। वर्तमान विकट समय में आमजन को कोरोना से डरने के बजाय उसके प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से नाट्यवृंद संस्था द्वारा ऑनलाइन संवाद कार्यक्रम की श्रंखला आरंभ की गई है। इसमें विविध क्षेत्रों के प्रबुद्धजनों के अनुभव एवं विचारों के माध्यम से अवसाद के इस वातावरण में स्वस्थ व खुश रहने के सूत्र लोगों तक पहुँचाने का प्रयत्न किया जा रहा है। तृतीय सत्र में संस्कृति चिंतक हनुमानसिंह राठौड़ ने बताया कि वेद कहते हैं ‘वयं अमृतस्य पुत्राः‘ हम अमृत के पुत्र हैं अतः परिस्थिति से हार मानकर निराश हताश होने वाले नहीं वरन् हम जीतेंगे इस विश्वास वाले हैं। एक ओर कुछ लोग कोरोना से भय का वातावरण बनाने में मस्त थे वहीं कुछ लोग शोध करके औषधि व वैक्सीन बनाने में व्यस्त थे। चुनौति को स्वीकार कर पूर्ण मनोबल के साथ आशान्वित होकर समाधान खोजने की प्रवृत्ति ही भारतीय दर्शन है। महाभारत में कहा है कि मन से दुःखों का चिन्तन न करना ही दुःख निवारण का सूत्र है। सदैव सकारात्मक चिंतन और ऊर्जा के साथ परिदृश्य को भद्र अर्थात अच्छा बनाने के लिए सामूहिक प्रयत्न की कर्मशीलता के साथ सौ वर्ष जीने की कामना ईशोपनिषद में की गई है। वरिष्ठ चिकित्सक डाॅ राजेन्द्र तेला ने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए नीम, मीठा नीम, तुलसी, पुदीना व धनिया के पत्तों व गिलोय, प्रोटीन के लिए अंकुरित अन्न व दालों तथा जिंक व विटामिन सी, ए, डी3 का नियमित तौर पर प्रयोग करना चाहिए। सोशल मीडीया पर प्रसारित दवाओं के बजाय चिकित्सक से सही इलाज लें। मेड या बाहरी व्यक्ति से संपर्क के समय मास्क व दूरी का ध्यान रखें। चिति संधान केन्द्र की अधिष्ठात्री स्वामी अनादि सरस्वती ने कहा कि इस विकट समय में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर योग-प्राणायाम करना, नित्य प्रार्थना और नकारात्मक विचारों को मन से दूर रखने की सकारात्मक जीवन शैली अपनानी चाहिए। सबके कल्याण का विचार हमें आत्मबल देता है। शास्त्रों में वर्णित मंत्र मन-मस्तिष्क को असीम शक्ति प्रदान करते हैं इसलिए नित्य गायत्री मंत्र आदि का जाप करना ही है। जिससे भी बात करें पोजीटिव बात करें। शिक्षाविद् डाॅ अनन्त भटनागर ने कहा कि वायरस तो घातक है ही दहशत इसे अधिक भयावह बना रही है। दिनभर कोरोना की खबरें पढ़ना, देखना और उसी की चर्चा करते रहना मानसिक अवसाद का कारण बनता है। चिंता रोग को बढ़ाती है, इससे जीतना सजगता से ही संभव है। अतः लक्षण दिखते ही तुरंत टेस्ट व इलाज करवाना जरूरी है और डरने के बजाय ठीक होने के विश्वास के साथ पुस्तक, संगीत, मानसिक खेल आदि में मन लगाना चाहिए। इनके विस्तृत आलेख संस्था के फेसबुक पेज पर पढ़े जा सकेंगे। हिन्दुस्थान समाचार/संतोष/ ईश्वर

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