जोधपुर, 14 जनवरी (हि. स.)। जयशंकर प्रसाद के महाकाव्य पर आधारित नाटक कामायनी का गुरुवार को वर्चुअल मंचन किया गया। कर्म लोक जीवन के संघर्ष और दु:खों का ज्ञान करवाता है, उज्ज्वल लोक बुद्धि और तर्क प्रधान है तो ज्ञान और क्रिया मोक्ष की ओर ले जाती है... कामायनी महाकाव्य जयशंकर प्रसाद के गम्भीर चिन्तन का श्रेष्ठतम प्रतिफल है, जो मानवता के चरम विकास को मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक पृष्ठभूमि पर प्रस्तुत करता है। रमेश बोहरा द्वारा नाट्यान्तरित एवं डॉ. एस. पी. रंगा द्वारा अनुशोधित व निर्देशित नाटक कामायनी, निराश, भयग्रस्त एवं दु:खी वसुधा को शांति और सुख की आशा बंधाता हुआ अखण्ड आनन्द प्राप्ति का मंगलमय सन्देश प्रसारित करता है। वर्चुअल सतह पर ज़ूम एप के माध्यम से मंचित इस नाटक के ज़रिये चिन्ता से आनंद तक की इस यात्रा को मनु के रूप में डॉ. हितेन्द्र गोयल, श्रद्धा की भूमिका में डॉ. नीतू परिहार, इड़ा व लज्जा के किरदार में नेहा रांकावत, आकुलि की भूमिका में मज़ाहिर सुलतान ज़ई, किलात के रूप में डॉ. एस. पी. रंगा और मानव की भूमिका में हर्षवर्धिनी गोयल ने अपने अभिनय से अनुभूत करवाया। मंचन में डॉ. रामप्रसाद दाधीच, रूचि परिहार, सईद ख़ान का सहयोग रहा। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ ईश्वर-hindusthansamachar.in