आधार कार्ड का उपयोग बढ़ेगा, तब कोई लावारिस नहीं बचेगा - उदयपुर सिटीजन सोसायटी
उदयपुर, 27 मई (हि.स.)। यदि देश में हर व्यक्ति का आधार कार्ड समय से बनने के प्रति जागरूकता आ जाएगी, तब कोई भी लावारिस नहीं बचेगा। चाहे बच्चो हो, विमंदित हो या बुजुर्ग, कहीं भटक भी जाएंगे तो उनकी अंगुलियों के निशान या आईरिस का डाटा स्कैन करके उनका विवरण प्राप्त किया जा सकेगा। आधार कार्ड गुम भी हो जाए तब भी अधिकृत एजेंसी के माध्यम से यह कार्य संभव है। यह बात उदयपुर सिटीजन सोसायटी की ओर से कोरोना के कष्टदायी काल में सामने आई ‘लावारिस पार्थिव देह’ की समस्या पर हुई आॅनलाइन परिचर्चा में उभर कर आई। आधार कार्ड का उपयोग बढ़ाने के साथ जनसामान्य में आधार कार्ड अवश्य बनाने को लेकर जागरूकता की जरूरत दर्शाते हुए सोसायटी की ओर से जिला कलेक्टर चेतन देवड़ा के मार्फत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र भी भेजा गया है। सोसायटी के अध्यक्ष क्षितिज कुम्भट ने बताया कि सोसायटी के आपदा सेवा संयोजक दीपक चुघ ने इस समस्या पर ध्यानाकर्षित किया और कहा कि अस्पतालों में भर्ती करने से पहले आधार कार्ड लिया जाए और यदि किसी का आधार कार्ड उपलब्ध नहीं हो तो उसकी अंगुलियों के निशान को स्कैन करके संबंधित अधिकृत एजेंसी को भिजवाया जाए ताकि उसके परिवार, निवास का पता चल सके। यह एजेंसी पुलिस भी हो सकती है और सरकार का आईटी विभाग भी। कुम्भट ने बताया कि इसी चर्चा में यह भी बात सामने आई कि मृत्योपरांत आधार कार्ड निरस्त करने की कोई प्रक्रिया नहीं है। इसे अभी सामान्य रूप से यह मान रहे हैं कि मरने के बाद आधार कार्ड निरस्त नहीं करवाया तो क्या फर्क पड़ेगा। लेकिन, डिजिटल दुनिया के शातिरों द्वारा इस अनुपयोगी डेटा के आपराधिक उपयोग की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के साथ ही दिवंगत व्यक्ति के आधार को भी स्थायी रूप से लाॅक करने की व्यवस्था जरूरी है। सदस्यों ने बच्चे के तीन साल का होते ही आधार बनवाने की जरूरत पर भी जोर दिया, हालांकि उनके आधार में बच्चों की अंगुलियों के बजाय माता या पिता की अंगुलियों के निशान लिए जाते हैं, लेकिन आईरिस का डेटा तो बच्चे का स्वयं का लिया जा सकता है। ऐसे में अनर्गल कार्यों से छुड़ाए जाने पर अथवा किसी को अनजान बच्चा मिलने पर पुलिस उसके डेटा से उसके माता-पिता का पता लगा सकेगी। सोसायटी के सचिव कमल नाहटा ने बताया कि उदयपुर सिटीजन सोसायटी उदयपुर अंचल के चहुंमुखी विकास पर नियमित रूप से मंथन करने वाली संस्था है जिसमें वरिष्ठ सेवानिवृत्त न्यायाधीश, माननीय कुलपति, विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, विभिन्न विषय विशेषज्ञों सहित उद्यमी-व्यवासायी शामिल है। एक तरह से उदयपुर के थिंक टैंक के रूप में सोसायटी आने वाले समय की जरूरतों पर मंथन कर प्रशासन व सरकार से उन पर विचार के लिए आग्रह करती है। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीता कौशल / ईश्वर