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उर्दू ड्रामा फेस्टिवल : नाटक में प्रदर्शित की मंटों की संघर्षपूर्ण जीवन यात्रा

जयपुर, 14 मार्च (हि. स.)। जवाहर कला केन्द्र के रंगायन सभागार में राजस्थान उर्दू अकादमी की ओर से आयोजित दो दिवसीय उर्दू ड्रामा फेस्टिवल का समापन रविवार को हुआ। वरिष्ठ नाट्य निर्देशक साबिर खान के निर्देशन में खेले गए नाटक मंटो हाजिर हो के जरिए कलाकारों ने मंटो के जीवन संघर्ष को बयां किया गया। उन पर भारत और पाकिस्तान में चले मुकदमों को जिक्र करते हुए अभिव्यक्ति और आम लोगों के जीवन से जुड़ी समस्याओं पर सवाल उठाए गए। साबिर खान ने बताया कि सआदत हसन मंटो भारतीय उपमहाद्वीप में साहित्य के सबसे विवादास्पद कथाकार हुए है। उनका समस्त लेखन गरीब, असहाय, शोषित, सामाजिक उत्पीडऩ, साम्प्रदायिकता के शिकार वर्ग पर आधारित है। नाटक के कथानक के जरिए उन्होंने समाज की ओर से गरीब महिलाओं के देह शोषण व उनको जीवन यापन के लिए देह व्यापार करने और गलत फैसले लेने को मजबूर करने वाले मुद्दों को उठाया है। ऐसे विषयों पर उन्होंने लिखा और साहित्यकारों के कुछ वर्ग ने उन्हें अश्लील साहित्यकार भी कहा। पांच कहानियों पर अदालतों में मुकदमें चले, इनमें तीन भारत में शामिल है। वे बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए और वहां भी दो मुकदमे लगा दिए गए। सभी मुकदमों में वे बरी हुए। नाटक में दिखाया गया कि मंटो बचपन में अपने पिता की उपेक्षा का शिकार रहे, जिसका उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। इसके चलते उन्होंने विरोध, अराजकता के जीवन पर पडऩे वाले प्रभावों पर लिखना शुरू किया। नाटक में आरिफ खान, राहुल स्वामी, पंकज चौहान, आयुषी दीक्षित, रिचा भागचंदानी, साहिल आहूजा, सचिन सौकरिया, जितेन्द्र, सचिन, वैभव शर्मा, पंकज शर्मा, महिपाल ने अभिनय किया। कॉस्ट्यूम रोशन आरा, लाइटिंग गगन मिश्रा और मंच मैनेजमेंट उज्जवल मिश्रा का रहा। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप

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