udaipur39s-parents-mobilized-against-the-fee-decision
udaipur39s-parents-mobilized-against-the-fee-decision

फीस फैसले के खिलाफ लामबंद हुए उदयपुर के अभिभावक

उदयपुर, 13 फरवरी (हि. स.)। फीस को लेकर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश से परेशान अभिभावकों की शनिवार को उदयपुर के टाउनहाल प्रांगण में राजस्थान अभिभावक संघ के बैनर तले बैठक हुई जिसमें अभिभावकों ने कोर्ट के फुल फीस के आदेश पर रोष जताया। चर्चा में सभी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर खेद - आश्चर्य जताया कि उच्चतम न्यायालय कोविड काल के समय की एवम वर्तमान समय तक की पूरी फ़ीस जमा करवाने का निर्णय कैसे दे सकता है , यह निर्णय खुलेआम लोकतन्त्र का गला घोंटने जैसा प्रतीत हो रहा है । सभी ने सामूहिक रूप से निर्णय लिया कि हम सभी अभिभावक संगठित रूप से संगठन को बहुत मज़बूत करेंगे एवम तुरन्त प्रभाव से प्राइवेट स्कूल की फीस की लूट के खिलाफ़ एवम उच्चतम न्यायालय के निर्णय के विरोध में आंदोलन आरम्भ किया जाएगा । राजस्थान अभिभावक संघ के आग्रह पर उदयपुर शहर के टाउन हाॅल में एकत्र हुए अभिभावकों ने सुप्रीम कोर्ट के फुल फीस चुकाने के अंतरिम आदेश पर रोष जाहिर किया और कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट और राजस्थान सरकार के 60 व 70 प्रतिशत ट्यूशन फीस के फार्मूले वाले फैसले पर निजी स्कूल राजी थे, तब कुछ नामी स्कूल जिनकी फीस मोटी रकम वाली है, वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और सुप्रीम कोर्ट ने फुल फीस चुकाने का अंतरिम आदेश जारी किया। इससे राजस्थान के 70 लाख से अधिक अभिभावक न केवल आहत हुए हैं, बल्कि उनका तनाव इस बात को लेकर बढ़ गया है कि कोरोना काल में उनके हाथ से रोजगार छूट गया, उनकी आमदनी पर भी वायरस का प्रकोप पड़ गया, अब भी वे उबर नहीं पा रहे हैं, और उस दौरान जब स्कूल चले ही नहीं, तब फुल फीस का औचित्य क्या है और इसे वे कैसे चुका पाएंगे। उन्होंने आशंका जताई है कि भले ही सुप्रीम कोर्ट ने दबाव नहीं बनाने की बात भी आदेश में लिखी है, लेकिन अब तक निजी स्कूलों ने हाईकोर्ट के फैसले की ही अवमानना की, राजस्थान के फीस एक्ट को नहीं माना, वे स्कूल क्या दबाव बनाने से चूकेंगे। बैठक में राजस्थान अभिभावक संघ के संयोजक हरीश सुहालका ने कहा कि एक ओर कोरोना का कष्टदायक काल है, दूसरी ओर राजस्थान में फीस एक्ट को लागू करने का सवाल है। फीस एक्ट तो निजी स्कूलों के लिए मानो खिलौना है। सरकार भी इसे लागू कराने के लिए दबाव नहीं बना पा रही है। फीस एक्ट लागू हो तो स्कूलों की फीस लूट की पोल स्वतः सामने आ जाएगी। उन्होंने कहा कि अभिभावक राष्ट्रपति व चीफ जस्टिस को पोस्टकार्ड पर ‘अभिभावकों की गुहार, फैसले पर करो पुनर्विचार’ लिख रहे हैं, ताकि सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश पर पुनर्विचार का रास्ता खुल सके। साथ ही, राजस्थान के चुने हुए जनप्रतिनिधियों से भी अभिभावक आग्रह कर रहे हैं कि वे विधानसभा में अभिभावकों की पीड़ा को उठाएं और फीस माफी को लेकर अध्यादेश लाएं। कोरोना काल में रोजगार खोने के दर्द को तो सरकार सम्बल नहीं दे सकी है, हिंदुस्थान समाचार/सुनीता कौशल/संदीप-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in