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जिन्होंने पार्टी के लिए खून-पसीना बहाया, उन्हीं को मिले मौका : पायलट

जयपुर, 20 जनवरी (हि. स.)। पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बुधवार को एक बार फिर दोहराया कि राजनीतिक नियुक्तियों तथा मंत्रिमंडल विस्तार में पार्टी के उन कर्मठ लोगों को मौका मिलना चाहिए, जिन्होंने पार्टी को राजस्थान में सत्ता के शिखर पर पहुंचाया है। पायलट ने कहा कि राजनीतिक नियुक्तियां समेत अन्य सभी काम तय समय सीमा में होंगे। प्रदेश प्रभारी अजय माकन लगातार इस दिशा में काम कर रहे हैं। पूर्व उप मुख्यमंत्री पायलट बुधवार को अपने निवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार व संगठन में जो भी बदलाव होने होते हैं, उन्हें एआईसीसी व पीसीसी के साथ वरिष्ठ नेता, मुख्यमंत्री बैठकर तय करते हैं। एआईसीसी की तरफ से पहले ही कहा जा चुका है कि राजस्थान के हित में जो भी निर्णय होंगे, वे जनवरी में कर लिए जाएंगे। इसी के साथ राजनीतिक नियुक्तियां और मंत्रिमंडल विस्तार का काम भी पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसान दो महीने से भरी सर्दी के बीच अपनी मांगें मनवाने के लिए बैठे हैं। उन्हें बार-बार वार्ता के लिए बुलाया जाता है। केन्द्र सरकार उन्हें थकाने का काम कर रही है। हमारी कांग्रेस पार्टी हर कदम किसानों के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के किसी निर्णय पर टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे, लेकिन सच यह है कि किसान और उनके संगठन सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित की गई कमेटी से संतुष्ट नहीं है। हमारी मांग सिर्फ इतनी सी है कि किसान चाहते है कि तीनों बिल वापस लिए जाए, इसलिए केन्द्र सरकार को इस तरफ सोचना चाहिए। बहुत लम्बा समय हो गया, अनेकों लोगों की जान चली गई। किसान दो महीने से तेज सर्दी के बाद भी दिल्ली की सरहदों पर बैठे हैं। वार्ता की चर्चा हो रही है, लेकिन कोई नतीजा निकलकर नहीं आ रहा है। राहुल गांधी ने कल कहा भी था कि केन्द्र सरकार को तीनों कानून वापस लेने पड़ेंगे। मेरा भी मानना है कि केन्द्र सरकार को जिद छोड़ देनी चाहिए और किसानों के हित में कानून वापस ले लेने चाहिए। पायलट ने कहा कि केन्द्र सरकार किसानों से वार्ता का पाखंड कर रही है, जो सार्थक नहीं है। आमतौर पर विपक्ष सरकार से सवाल पूछता है, लेकिन यहां उल्टा हो रहा है। केन्द्र की सत्ता में भाजपा की सरकार है और उन्हीं की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से सवाल पूछ रहे हैं। केन्द्र सरकार की किसान संगठनों व किसानों के साथ कोई सहानुभूति नहीं है। किसान पहले दिन से ही कह रहे है कि तीनों बिल वापस लिए जाए, लेकिन मोदी सरकार इस मांग पर चुप्पी धारे बैठे हैं। उन्होंनेे कहा, राहुल गांधी देश की सीमाओं पर दुश्मन देशों की हरकतों को लेकर लगातार मोदी सरकार पर आरोप लगा रही है। अगर ऐसा कुछ है तो सरकार को सामने आकर सफाई देनी चाहिए। देश को यह बताना चाहिए कि हमारी सीमाओं पर किसी देश की तरफ से कोई हरकत नहीं हो रही है। यह चुप्पी दिखाती है कि कही कुछ न कुछ गड़बड़ी है। राहुल गांधी ने पिछले साल फरवरी में ही सरकार को चेता दिया था कि कोरोना फैलने वाला है, लेकिन मोदी सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई। मोदी सरकार जिद और अडिय़ल रवैये के कारण किसी की सुनने को तैयार नहीं है। केन्द्र सरकार एक तरफ तो किसानों को पूरा सम्मान देने की बात कहती है, जबकि दूसरी तरफ उसी सरकार के मंत्री, पदाधिकारी किसानों को अलगाववादी, नक्सलवादी कहकर उनका अपमान कर रहे हैं। यह सरकार का दोगला चरित्र है। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप-hindusthansamachar.in

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