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राजस्व रिकार्ड में डोली या मंदिर माफी की नाम पुजारी के नाम दर्ज करने का प्रावधान नहीं

जयपुर, 05 मार्च (हि. स.)। प्रदेश के राजस्व रिकार्ड में डोली भूमि व मंदिर माफी की भूमि पर खातेदारी अधिकार पुजारी को देने का कोई प्रावधान नहीं है। सरकार ने माना है कि देवमूर्ति की भूमि पर पुजारी को खातेदारी अधिकार प्राप्त नहीं हो सकते है, क्योंकि वह देवमूर्ति की भूमि का केवल व्यवस्थापक मात्र है। राज्य विधानसभा में यह जवाब देवस्थान मंत्री ने बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन के लिखित सवाल के प्रत्युत्तर में दिया है। देवस्थान मंत्री की ओर से जवाब में बताया गया कि राजस्थान भूमि सुधार एवं जागीर पुर्नग्रहण अधिनिमय 1952 की धारा 9 में जागीर भूमि पर खातेदारी अधिकार दिये जाने का प्रावधान है। देवमूर्ति अवयस्क है तथा देवमूर्ति की भूमि पर पुजारी को खातेदारी अधिकार प्राप्त नहीं हो सकते है, क्योंकि वह देवमूर्ति की भूमि का केवल व्यवस्थापक मात्र है। राजस्व रिकॉर्ड में पुजारी अथवा सेवायत का नाम दर्ज करने का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने बताया कि प्रशासनिक सुविधा के लिए एक रजिस्टर मंदिर के पुजारियों के संबंध में तहसील स्तर पर अलग से रखा जाता है, जिसमें जिन मंदिरों के पास कृषि भूमि है उनके पुजारियों के नाम का अंकन किया जाता है। 12 सितम्बर 2018 तथा 13 दिसम्बर 1991 को जारी परिपत्रों की पालना में निर्धारित पंजिका में वर्णित पुजारी मंदिर भूमि के संरक्षक के रूप में सरकार की योजनाओं का लाभ देने के लिए समस्त जिला कलक्टरों को निर्देशित किया गया है। जिसमें मंदिर भूमि के विकास के लिए विद्युत, पेयजल, टयूबवैल आदि के लिए कनेक्शन, फसल खराबे की स्थिति में सहायता अनुदान, बीज, कृषि उपादान आदि पर नियमानुसार अनुदान प्राप्त करने के लिए उन्हें अनुमत या प्राधिकृत किया गया है। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप

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