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शुक्रवार को चांद नहीं दिखा इसलिए ख्वाजासाहब का सालाना उर्स 13 फरवरी से हुआ शुरू

अजमेर, 13 फरवरी(हि.सं)। अजमेर और आसपास के क्षेत्रों के आसमान में 12 फरवरी को चांद दिखाई नहीं देने से सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का 6 दिवसीय उस अब 13 फरवरी को शुरू हो गया। उर्स की पहली महफिल शनिवार की रात होगी और इसी के साथ 14 फरवरी से उर्स का पहला दिन शुरू हो जाएगा। दरगाह के खादिमों की प्रतिनिधि संस्था अंजुमन सैय्यद जादगान के सचिव वाहिद हुसैन अंगाराशाह ने कहा कि अब उर्स में कुल की रस्म 19 फरवरी को होगी और इसी दिन जुमे की नमाज भी होगी। आम तौर पर कुल की रस्म में भाग लेने के बाद जायरीन का लौटना शुरू हो जाता है। इस बार कुल वाले दिन ही शुक्रवार है, इसलिए अधिकांश जायरीन दोपहर को नमाज पढऩे के बाद ही जाएंगे। हालांकि उर्स के दिनों में दरगाह में जायरीन की जियारत का सिलसिला चलता रहता है, लेकिन इस बार कुल और जुम्मा एक ही दिन होने से 18 फरवरी को बड़ी संख्या में जायरीन अजमेर में मौजूद रहेंगे। अंगाराशाह ने माना कि कोरोना काल में सरकार ने जायरीन पर अनेक पाबंदियां लगा रखी है, लेकिन मान्यता है कि वो ही अजमेर आते हैं, जिन्हें ख्वाजा बुलाते हैं। चूंकि कोरोना में लॉकडाउन था इसलिए जायरीन दरगाह में जियारत के लिए नहीं आ सका। उर्स में अब बड़ी संख्या में जायरीन आ रहे हैं। कलंदरों के जुलूस में कोरोना मेला गाइडलाइन धरी रह गई 12 फरवरी को देशभर में कलंदरों ने उर्स के मौके पर ख्वाजा साहब की दरगाह पर दस्तक दी। कलंदरों के करतब देखने के लिए दरगाह के बाहर बड़ी संख्या में जायरीन उपस्थित थे। उर्स में कलंदरों के करतब से भी रौनक होती है। कलंदर अपनी परंपरा के अनुरूप दरगाह बाजार में छड़ी मुबारक का जुलूस निकालते हैं। 12 फरवरी को जब यह जुलूस निकला तो दरगाह बाजार खचाखच हुआ। उर्स शुरू होने से पहले यह स्थिति है, तब उर्स के 6 दिनों की भीड़ का अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि सरकार की गाइड लाइन के अनुसार प्रशासन ने उर्स में आने वाले जायरीन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और फिर अनुमति की अनिवार्यता लागू की है, लेकिन ऐसी गाइड लाइन धरी रह गई है उर्स में बड़ी संख्या में बुुजुर्ग और बच्चे भी देखे जा सकते हैं। दरगाह क्षेत्र में रजिस्ट्रेशन की जांच की कोई व्यवस्था नहीं हो पा रही है। दरगाह कमेटी ने जारी किया उर्स का कलैण्डर ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स को लेकर नाजिम दरगाह कमेटी अशफाक हुसैन ने कलैण्डर जारी कर दिया है। 18 फरवरी को सुबह साढ़े नौ बजे खवाजा साहब के दर पर बसंत उत्सव होगा। बसंत की रस्म अदा की जाएगी। जिसमें सज्जादानशीन दरगाह दीवान की सदारत में निजामगेट से आस्ताना शरीफ तक बसंत का गुलदस्ता जाएगा। और आस्ताना शरीफ पर पेश किया जाएगा। परम्परा रही है कि दरगाह के शाही कव्ववाल ख्वाजा साहब की शान में कववालियां पेश करते हुए बसंत का गुलदस्ता मजार शरीफ पर जुलूस के रूप में नाचते गाते झूमते लाया करते थे। 19 फरवरी को होगी जुम्मे की नमाज उर्स पर जुम्मे की नमाज दोपहर एक बजकर 10 मिनट पर जामा मस्जिद (शाहजहानी मस्जिद) में अदा की जाएगी। कुल की फातहा करीब सवा बारह बजे अदा होगी। 22 फरवरी सोमवार को सुबह 5 से दोपहर 11 बजे तक दरगाह शरीफ को गुलाब जल व केवड़े से धोया जाएगा। बड़े कुल की रस्म के साथ उर्स का समापन होगा। हिन्दुस्थान समाचार/संतोष-hindusthansamachar.in

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