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शील धाभाई बनी कार्यवाहक मेयर, गहलोत सरकार का बड़ा फैसला

जयपुर, 08 जून (हि.स.)। ग्रेटर नगर निगम के मेयर विवाद के बाद अब भाजपा की ही शील धाभाई को कार्यवाहक मेयर बना दिया गया है। ग्रेटर नगर निगम में महापौर और तीन पार्षदों को निलंबित करने के बाद राज्य सरकार ने शील धाभाई को कार्यवाहक महापौर बनाकर एक तीर से दो निशाने साध लिए हैं। सरकार ने एक तो डॉ. सौम्या गुर्जर को हटाने के कारण गुर्जर समाज में जो नाराजगी उभरी थी, उसे साधने का काम किया, दूसरी तरफ भाजपा की एकता को भी टटोलने का काम किया है। धाभाई वसुंधरा खेमे की मानी जाती है। राज्य सरकार ने बीजेपी की वरिष्ठ पार्षद और पूर्व मेयर शील धाभाई को कार्यवाहक महापौर बनाया है। शील धाभाई का नाम चुनाव के वक्त से ही महापौर के लिए चल रहा था, लेकिन नामांकन के आखिरी मौके पर भाजपा ने उनका नाम काटकर डॉ. सौम्या को मेयर का उम्मीदवार बनाया था। इसे लेकर शील धाभाई अंदरखाने काफी नाराज चल रही थीं। यूडीएच मंत्री ने इसी नाराजगी को भुनाने की कोशिश अपनी रणनीति में की है। धारीवाल ने राजनीतिक दांव खेलते हुए आदेशों के माध्यम से ये भी स्पष्ट कर दिया कि उप महापौर पुनीत कर्णावट सामान्य वर्ग में है, इसलिए उन्हें कार्यवाहक महापौर नहीं बनाया जा सकता। ग्रेटर निगम में भाजपा का बोर्ड है। ऐसे में किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए धाभाई को महापौर बनाया गया है। गहलोत सरकार के इस कदम को कोर्ट में अपना पक्ष मजबूत करने के तौर पर भी देखा जा रहा है। जयपुर नगर निगम के 1999 में बने दूसरे बोर्ड में निर्मला वर्मा को महापौर बनाया गया था। उनके निधन के बाद 2001 में धाबाई को कार्यवाहक महापौर बनाया गया। अगले चुनाव तक वही महापौर बनी रही। उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को महापौर सौम्या गुर्जर और आयुक्त यज्ञमित्र देव सिंह के बीच एक बैठक के दौरान तीखी बहस हुई थी। बताया जा रहा है कि कि डोर-टू-डोर कचरा उठाने वाली कंपनियों के भुगतान के मुद्दे पर हुई बैठक के दौरान जब मेयर से उनकी और आयुक्त के बीच तकरार हुई, तो वो बाहर जाने लगे। आयुक्त सिंह का आरोप है कि इस दौरान भाजपा के तीन पार्षदों ने उनसे अभद्र व्यवहार और मारपीट भी की। घटना के बाद आयुक्त ने तीन पार्षदों के खिलाफ थाने में शिकायत दी और एफआईआर दर्ज कराई। इसके बाद स्वायत्त शासन विभाग ने मेयर सौम्या गुर्जर सहित चार पार्षदों को निलंबित कर दिया। इसके बाद सरकार ने देर रात एक आदेश जारी कर भाजपा की पार्षद और वित्त समिति की अध्यक्ष शील धाभाई को मेयर का कार्यभार सौंप दिया। धाभाई वसुंधरा खेमे की मानी जाती हैं। रविवार को जब भाजपा मुख्यालय में मेयर के निलंबन के बाद पार्टी पदाधिकारियों की बैठक हुई थी। तब वसुंधरा समर्थक विधायक अशोक लाहोटी, कालीचरण सराफ, नरपत सिंह राजवी ने इस बैठक से दूरी बना ली थी। सरकार का यह निर्णय इसलिए भी चौंकाने वाला भी रहा है, क्योंकि इससे पहले कार्यवाहक मेयर के तौर पर कांग्रेस की ही किसी महिला पार्षद को नियुक्त किए जाने की देर शाम तक अटकलें लगाई जा रही थी। शील धाभाई इससे पहले भी जयपुर की मेयर रह चुकी है। नवंबर 2020 में हुए नगर निगम चुनावों के परिणाम के बाद शील धाबाई को मेयर का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन भाजपा ने ऐनवक्त पर सौम्या गुर्जर को मैदान में उतारकर धाभाई की उम्मीदों पर पानी फेर दिया था। जयपुर में नगर निगम बनने के बाद जब साल 1999 में जब दूसरा बोर्ड बना था, तब निर्मला वर्मा मेयर बनी थी। निर्मला वर्मा 29 नवंबर 1999 से 16 अगस्त 2001 तक रही। वर्मा के निधन के बाद शील धाभाई 4 दिसंबर 2001 से 28 नवंबर 2004 तक जयपुर की मेयर रही। मेयर के बाद शील धाभाई ने भाजपा की टिकट से कोटपूतली से विधानसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन वह हार गई थी। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ ईश्वर

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