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कुछ गंदी मछलियों के कारण पूरा पुलिस संगठन होता है बदनाम : महानिदेशक पुलिस

जयपुर, 26 मार्च (हि.स.)। महानिदेशक पुलिस एम.एल. लाठर ने कहा है कि राजस्थान पुलिस प्रदेशवासियों की सेवा और सुरक्षा के लिए तत्परता से कार्य कर रही है। सामान्यतया पुलिसकर्मी अनुशासित तरीके से अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं, हालांकि कुछ गंदी मछलियों के कारण संगठन बदनाम होता है। अवांछित गतिविधियों में लिप्त पुलिस कर्मियों के विरुद्व सख्त कार्यवाही करते हुए उन्हें बर्खास्त तक किया गया है। उन्होंने प्रदेशवासियों को आष्वस्त किया कि पुलिस उनकी सुरक्षा में कोई कमी नहीं आने देगी। लाठर शुक्रवार अपराह्न वर्चुअल जनसंवाद कार्यक्रम में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से जुड़े नागरिकों से संवाद कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जन सहयोग से ही पुलिस आपराधिक गतिविधियों की रोकथाम एवं अपराधियों की धरपकड़ का कार्य प्रभावी ढंग से कर सकती है। महानिदेशक ने कहा कि पुलिस तत्परता से आमजन के सहयोग और उनकी सुरक्षा के लिए कार्य कर रही है। आमजन राजस्थान पुलिस के टोल फ्री नम्बर 100, 112, 1090 अथवा ट्वीटर हैण्डल या वॉट्सएप के जरिए आपराधिक गतिविधियों के संबंध में तत्काल जानकारी देकर सहायता प्राप्त कर सकते हैं। पुलिस जानकारी प्राप्त होते ही अपना कार्य प्रारम्भ कर देती है। लाठर ने महिला अत्याचार से संबंधित घटनाओं के सम्बन्ध में कहा कि 90 प्रतिशत से अधिक घटनाएं भरोसे का हनन करने के कारण होती हैं। रिश्तेदारों, नियोजनकर्ताओं, पड़ोसियों अथवा मित्रतावश बने रिश्तों का भरोसा तोडऩे से इस तरह की शर्मनाक घटनाएं होती हैं। उन्होंने बालिकाओं पर प्रतिबंध लगाने के बजाय लडक़ों को भी संस्कारवान बनाने एवं उनकी गतिविधियों पर सतर्कता से निगाह रखने की आवश्यकता प्रतिपादित की। उन्होंने आमजन से विभिन्न आपराधिक प्रकरणों में एफआईआर दर्ज करवाते समय वास्तविक तथ्य ही बताने का आग्रह करते हुए कहा कि झूठे मामले क्रास एग्जामिनेशन के दौरान अदालतों में धराशायी हो जाते हैं। उन्होंने सीएलजी की तर्ज पर प्रारम्भ की जा रही सुरक्षा सखी योजना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 01 जनवरी, 2020 से महिला शक्ति आत्मरक्षा केन्द्र संचालित किए जा रहे हैं। वेबसाईट पर पंजीयन करवाकर इन केन्द्रों से आत्मरक्षा प्रशिक्षण प्राप्त किया जा सकता है। लाठर ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार प्रत्येक थाने में न्यूनतम 06-06 सीसीटीवी कैमरे लगाने की व्यवस्था की जा रही है। प्रदेश में कुल पुलिस बल में इस समय करीब 10 प्रतिशत महिलाएं कार्यरत हैं। महिला अत्याचार से सम्बन्धित मामलों की पूछताछ प्राथमिकता से महिला कार्मिकों द्वारा ही की जाती है। गवाही के लिए महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों से उनके द्वारा बताए गए समय व स्थान पर ही पूछताछ की जा सकती है। महानिदेशक ने बताया कि कानूनन किसी भी प्रकरण की जांच 60 दिन में पूर्ण करने का प्रावधान है लेकिन हमारा प्रयास है कि प्रत्येक प्रकरण की यथाशीघ्र जांच पूर्ण की जाए। थाना स्तर पर एफआईआर दर्ज नहीं होने पर पुलिस अधीक्षक कार्यालय में एफआईआर दर्ज करवाने की व्यवस्था 01 जून 2019 से प्रारम्भ की गई। अब तक पुलिस अधीक्षक कार्यालय में 202 एफआईआर दर्ज हुई है। इनमें से 18 परिवादी थानों में एफआईआर दर्ज नहीं होने पर पुलिस अधीक्षक कार्यालय आए। थाना स्तर एफआईआर दर्ज नहीं करने वाले सम्बन्धित कार्मिकों पर नियमानुसार कार्यवाही की गई है। उन्होंने राजस्थान पुलिस सिटीजन एप की सेवाओं का पूरा लाभ उठाने का आग्रह करते हुए कहा कि इस एप को डाउनलोड कर अपनी सुरक्षा को सुदृढ़ किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि बाल विवाह, नाता प्रथा, डायन प्रथा आदि कुरीतियां आपराधिक घटनाओं का जन्म देती हैं। आमजन के सहयोग से इन कुरीतियों से बचा जा सकता है। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ ईश्वर

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