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निलंबित मेयर प्रकरण : राज्य सरकार ने कहा बिना सुने प्राथमिक जांच के आधार पर कार्रवाई संभव

निलंबित मेयर सौम्या ने कहा दुव्र्यवहार शब्द अधिनियम में परिभाषित ही नहीं जयपुर, 11 जून (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने ग्रेटर नगर निगम की निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर की याचिका पर पांच घंटे मैराथन सुनवाई के बाद प्रकरण की सुनवाई 14 जून तक टाल दी है। न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश सीके सोनगरा की अवकाशकालीन खंडपीठ ने कहा है कि प्रकरण की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश की अनुमति लेकर सुबह नौ बजे सुनवाई के लिए रखा जाए। याचिका में कहा गया है कि निगम आयुक्त की ओर से राज्य सरकार को भेजी शिकायत और दर्ज कराई गई एफआईआर में याचिकाकर्ता का नाम ही नहीं है। इसके अलावा राज्य सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से जुडे प्रकरण की जांच आरएएस अधिकारी को सौंप दी और जांच अधिकारी ने याचिकाकर्ता को जवाब देने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया। वहीं जांच रिपोर्ट पर राज्य सरकार ने तत्काल न्यायिक जांच के आदेश देते हुए याचिकाकर्ता को महापौर और पार्षद पद से निलंबित कर दिया। याचिका में कहा गया कि नगर पालिका अधिनियम की धारा 39 में बताए गए दुर्व्यवहार के आधार पर याचिकाकर्ता को हटाया गया है, लेकिन अधिनियम में दुर्व्यवहार शब्द को परिभाषित ही नहीं किया गया है। दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जांच अधिकारी क्षेत्रीय निदेशक स्तर की अधिकारी है। उन्होंने मामले में स्वतंत्र जांच की है। सरकार याचिकाकर्ता का पक्ष सुने बिना प्रारंभिक जांच के आधार पर कार्रवाई कर सकती है। इसके बावजूद याचिकाकर्ता को नोटिस दिया गया, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। याचिकाकर्ता न्यायिक जांच के दौरान अपना पक्ष रख सकती हैं। वहीं अदालती समय पूरा होने पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई सोमवार तक टाल दी। अदालत ने कहा कि ग्रीष्मावकाश के चलते उनकी खंडपीठ शुक्रवार तक ही मुकदमें सुन रही है। ऐसे में प्रकरण को सूचीबद्ध करने से पहले मुख्य न्यायाधीश की अनुमति ली जाए। हिन्दुस्थान समाचार/ पारीक/ ईश्वर

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