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पीएम कुसुम योजना में राजस्थान के 37 हजार 500 व्यक्तिगत पंपों का सौलरीकरण

पाली, 12 फरवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार द्वारा देशभर के किसानों की आय को दोगुना करने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही है, इन्हीं योजनाओं में से एक है कुसुम योजना। अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने के उद्देश्य से लाई गई कुसुम स्कीम के तहत किसान की बंजर जमीन पर सोलर पैनल लगाकर किसान की अतिरिक्त कमाई कराई जाती है। इस योजना के अंतर्गत अब तक राजस्थान में 37500 व्यक्तिगत पंपों का सोलरीकरण किया जा चुका है। यह जानकारी नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने लोकसभा में पाली सांसद और पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री पीपी चौधरी द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में दी। सांसद चौधरी के अन्य सवाल में मंत्रालय ने बताया कि किसान उर्जा सुरक्षा और उत्थान महाअभियान (कुसुम) योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार ने फरवरी 2019 में देशभर में सिंचाई के लिए प्रयुक्त होने वाले सभी डीजल-बिजली के पंप को सोलर ऊर्जा से चलाने की योजना की शुरुआत की है। इसमें बाकी रकम केंद्र सरकार किसानों को बैंक खाते में सब्सिडी के तौर पर देती है। कुसुम योजना में बैंक द्वारा किसानों को लोन के रूप में 30 फीसदी राशि का भुगतान किया जाता है। सांसद चौधरी के राजस्थान में सौर विद्युत कृषि पंपों की स्थापना के सवाल पर मंत्रालय ने बताया कि राजस्थान की राज्य कार्यान्वयन एजेंसी ने गत 31 जनवरी तक पीएम कुसुम योजना के घटक-ख यानि 20 लाख स्टेंड अलोन पंपों की स्थापना के तहत राजस्थान में 76 स्टेंडअलोन सौर पंपों की स्थापना किए गए है। वहीं घटक-क यानि 10,000 मेगावाट क्षमता के ग्रिड से जुड़े ग्राउंड माउंटेड गिड संबद्ध अक्षय विद्युत संयत्रों से गत माह तक राजस्थान में 1200 मेगावाट क्षमता का उत्पादन हो रहा है। दूसरी ओर स्टेंड अलोन पंपों के सोलराइजेशन से राजस्थान द्वारा 75000 मेगावाट क्षमता का उत्पादन हो रहा है। वन नेशन-वनग्रिड-वन फ्रीक्वेंसी के तहत देशभर में वर्तमान संचीय अंतर-क्षेत्रीय पारेक्षण क्षमता यानि बिजली उत्पादन को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने की क्षमता लगभग 10 लाख 3550 मेगावाट है। पाली सांसद चौधरी द्वारा लोकसभा में पूछे गए एक सवाल में विद्युत मंत्रालय ने यह जानकारी दी। एक अन्य सवाल के जवाब में मंत्रालय ने बताया कि मोदी सरकार द्वारा ऊर्जा सेक्टर के कायाकल्प के लिए पिछले कई वर्षों से विभिन्न योजनाओं के माध्यम ढांचागत सुधारों पर फोकस किया जा रहा है। इन सुधारों के कारण ही देशभर में बिजली उत्पादन के क्षेत्र में मांग और उत्पादन का अंतर लगभग खत्म हो गया है। आने वाले समय में वन नेशन-वनग्रिड-वन फ्रीक्वेन्सी के तहत क्षमता को 1 लाख 18 हजार 740 मेगावट तक बढ़ाई जाएगी। देशभर में करीब 15000 मेगावाट के अंतर-क्षेत्रीय लिंक अभी कार्यान्वयनाधीन है। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ ईश्वर-hindusthansamachar.in

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