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फोन टैपिंग पर शेखावत का आक्रामक रूख, बोले: निष्पक्ष जांच हुई तो इस सरकार को छोडऩी पड़ेगी कुर्सी: शेखावत

अपडेट.... जोधपुर, 25 जून (हि.स.)। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने फोन टैपिंग मामले में मुख्यमंत्री, मुख्य सचेतक और कांग्रेस पार्टी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की खिसियाहट उनके प्रति इसलिए है, क्योंकि उन्होंने मुकदमा दर्ज कराया। यह खिसियाहट स्वाभाविक भी है, क्योंकि उनको अपराधी घोषित होने का भय भी है। शेखावत ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि यदि दिल्ली पुलिस इस मामले की ठीक से जांच करेगी तो राजस्थान सरकार को कुर्सी छोडऩी पड़ेगी। भीलवाडा प्रवास के दौरान शुक्रवार को मीडिया से रू-ब-रू होते हुए केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि राज्य सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी को जब दिल्ली पुलिस ने तलब किया तो उन्होंने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पीसीसी अध्यक्ष डोटासरा के सामने जिस प्रकार का आचरण किया, उसे लेकर मैं राजस्थान की जनता को बताना चाहता हूं कि फोन टैपिंग विश्व के गंभीरतम अपराध की श्रेणी में आता है। लोकतंत्र में इससे बड़ा अपराध नहीं हो सकता है। ऐसे ही अपराधों के कारण कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े को त्याग पत्र देना पड़ा था और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को महाभियोग से हटाया गया था। विवादों से घिरी सरकार का कोई नैतिक पक्ष नहीं: केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री जानते हैं कि पहले से ही विवादों में घिरी उनकी सरकार का इस मामले पर भी कोई नैतिक पक्ष नहीं बनता। अपने ही राज्य के लोगों की जासूसी करना वो भी लोकतंत्र में, ये अपने आप में कांग्रेस की आपातकाल वाली विचारधारा को जग- जाहिर करता है। सवाल गजेंद्र सिंह शेखावत का नहीं है, सवाल लोकतांत्रिक व्यवस्था में निजता के अधिकार का है। अगर फोन टैपिंग शासकीय आदेश से हुई है तो बताएं, अन्यथा सरकार को एक मिनट बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है। शेखावत ने कहा कि गहलोत सरकार के अपराधों की लंबी लिस्ट में एक अपराध ये भी है। इस अपराध पर इनके विधायक भी बात कर चुके हैं, लेकिन गहलोत जी एक बार आधिकारिक पुष्टि तो करें। शेखावत ने कहा कि फोन टैपिंग वैधानिक अथवा अवैधानिक, जिस भी तरीके से की गई हो, इसका खुलासा जरूरी है और यह भी सामने आना चाहिए कि यह किन लोगों ने किया। उन्होंने कांग्रेस नेताओं, विधायकों और मंत्रियों तक को यह सलाह दी, वो पता करें कौन, किसका फोन टैप करा रहा है। केंद्रीय मंत्री ने यहां तक कहा कि राजस्थान पुलिस यदि किसी भी मामले में उनका वॉयस सैंपल लेना चाहती तो वे बिल्कुल तैयार हैं। वैधानिक शक्तियों का दुरूपयोग: केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राजस्थान सरकार जिस प्रकार अपनी वैधानिक शक्तियों का दुरुपयोग कर यहां फोन टैपिंग करा रही है, उससे बड़ा अपराध नहीं हो सकता है। इसलिए महेश जोशी और प्रदेश अध्यरक्ष डोटासरा के बयानों में खीज, खिसियाहट, झुंझलाहट आदि सुनाई दे रही है। शेखावत ने कहा कि महेश जोशी कानून के ज्ञाता हैं और उनको यह भी मालूम है कि यदि इस मामले की निष्पक्ष जांच होगी तो राजस्थान सरकार दोषी सिद्ध होगी और उसे जाना ही पड़ेगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी यह जानकारी है। शेखावत ने विश्वास व्यक्त किया कि इस मामले में निश्चित रूप से न्याय होगा। गहलोत जी क्या कोरोना वॉरियर्स की जान की कीमत नहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर हमला बोलते हुए केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार ना हो, इस डर से मुख्यमंत्री महीनों से अपने घर में बंद हैं। अब उनका कहना कि डॉक्टरों ने उन्हें कोरोना प्रोटोकॉल के तहत दो महीने और घर से नहीं निकलने की सलाह दी है। शेखावत ने जानना चाहा कि क्या सुरक्षा में जुटे पुलिसकर्मी, चिकित्सा में जुटीं नर्स, स्वास्थ्यकर्मियों और समाजसेवियों को इस महामारी से खतरा नहीं है? इनमें से जो लोग संक्रमित भी हुए, वो 14 दिन बाद आकर अपने काम में जुट गए। क्या इन कोरोना वॉरियर्स की जान की कोई कीमत नहीं है? क्या केवल मुख्यमंत्री की ही जान की कीमत है? उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के घर में बैठने की वजह राजस्थान की जनता अच्छी तरह समझती है और जो लोग इस बात को नहीं समझते हैं, उन्हें समझाने की जिम्मेजदारी हमारी और आपकी है। राजस्थान में भाजपा का 1 करोड़ लोगों का कुनबा: तीन विधायकों के पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थन में दिए गए बयान को लेकर पूछे सवाल पर शेखावत ने कहा कि राजस्थाान में भाजपा का कुनबा 1 करोड़ लोगों का है और इनमें से कोई 3 विधायक या 3 पूर्व विधायक क्या बोलते हैं, इसको बहुत महत्व देने की आवश्यकता नहीं है। स्वच्छता-पेयजल से जुड़े कर्मियों का बढ़ाएं मानदेय: स्वनच्छता और पेयजल मिशन से जुड़े कर्मचारियों के मानदेय को बढ़ाने से संबंधित सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह मामला राज्य सरकार के अधिकार में आता है और राज्य सरकार को ही इस मामले में निर्णय लेना चाहिए। जिस प्रकार यूपी सरकार ने इन कर्मचारियों के मानदेय में वृद्धि की है, उसी प्रकार राजस्थान सरकार को भी इनका मानदेय बढ़ाना चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार/सतीश/ ईश्वर

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