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सेठिया कालबोध रचनाकार: राजपुरोहित

जोधपुर, 02 मई (हि.स.)। ख्यातनाम राजस्थानी कवि कन्हैयालाल सेठिया एक आदर्श की सींव मे बंधे कालबोध के रचनाकार थे जिन्होंने अपनी रचनाओं में अध्यात्म और दर्शन के माध्यम से रूपक को ज्यादा महत्व दिया लेकिन यह भी सत्य है कि उनकी रचनाओं में राजस्थान की धडक़न है। मरूदेश संस्थान द्वारा आयोजित ख्यातनाम कवि कन्हैयालाल सेठिया साहित्य संवाद श्रृंखला में जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के बाबा रामदेव शोध पीठ के निदेशक डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित ने कहा कि कन्हैयालाल सेठिया ने राजस्थानी और हिंदी दोनों ही भाषाओं में काव्य सृजन किया मगर उनकों अपनी मायड़भाषा में लिखी रचनाओं से ही विश्व व्यापी पहचान और मान सम्मान मिला है। अत: यह कहना ज्यादा समीचीन होगा कि सेठिया के काव्य में राजस्थान बोलता है। मरूदेश संस्थान के अध्यक्ष डॉ.घनश्याम नाथ कच्छावाहा ने बताया कि कवि कन्हैयालाल सेठिया की एक सौ एक जन्म जयन्ती वर्ष पर प्रतिमाह आयोजित कार्यक्रम कुछ बातें सेठियाजी की, कुछ रचनाएं सेठियाजी की के अंतर्गत डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित ने एक घंटे से अधिक समय तक आलोचनात्मक दृष्टिकोण से अभिनव और अनछुए विषयों को जनसमक्ष रखा। डॉ. राजपुरोहित ने कहा कि सेठिया एक स्वतंत्रता सेनानी, समर्पित लोक सेवक, मौलिक चिंतक, प्रकृति प्रेमी, साम्प्रदायिक सद्भावना के विस्तारक और प्रतिभाशील विचारधारा के पोषक थे। उन्होंने कहा कि कन्हैयालाल सेठिया ने राजस्थानी के बजाय हिंदी में अधिक लिखा पर उनको मातृभाषा ने अमर कर दिया। डॉ. राजपुरोहित ने कहा कि उनकी तीन रचनाएं कथा काव्य पाथल -पीथल, बोधगीत -धरती धोरां री और प्रगतिशील काव्य - कुण जमीन रो धणी सर्वाधिक चर्चित रही और इन रचनाओं के कारण सेठिया की ख्याति राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हुई। डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित ने कहा कि कन्हैयालाल सेठिया की भाषाशैली सहज, सरल और लोक परिचित रही। कार्यक्रम में इंद्रदान चारण, सिद्धार्थ सेठिया, गिरधारी प्रजापत,कंचनलता शर्मा, डॉ. जयश्री सेठिया सहित देश -प्रदेश के अनेकानेक प्रतिष्ठित लोगों ने भाग लिया। हिन्दुस्थान समाचार/सतीश / ईश्वर

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