राजस्थान : बुधवार को मनेगी लोहड़ी-गुरुवार को संक्रांति से पतंगों से सजेगा आसमान
जयपुर, 12 जनवरी (हि.स.)। राजस्थान में सिख धर्म के साथ-साथ हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा मनाए जाने वाला लोहड़ी का पर्व बुधवार को प्रदेशभर में परंपरागत उल्लास के साथ मनाया जाएगा। इसके अगले दिन गुरुवार को मकर संक्रांति का पर्व हिन्दू धर्मावलंबियों द्वारा मनाया जाएगा। इस दिन राजधानी जयपुर समेत प्रदेशभर के आसमान पर पतंगों का साम्राज्य रहेगा, जबकि महिला-पुरुष दान-पुण्य कर सूर्य के उत्तरायण होने की खुशी में कामनाएं करेंगे। कोरोना काल की वजह से त्योहार व पर्वों पर जुटने वाली भीड़ कम हो गई हैं, फिर भी राजस्थान में सभी त्योहार व पर्व परंपरागत रूप से मनाने की परंपरा रही है। लोहड़ी सिख धर्म के साथ-साथ हिंदू धर्म के लोगों द्वारा मनाए जाने वाले सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस साल लोहड़ी बुधवार (13 जनवरी) को मनाई जाएगी। लोहड़ी को सर्दियों का मौसम खत्म होने का प्रतीक भी माना जाता है। लोहड़ी पर किसान आग के चारों ओर नाचते गाते हैं और अग्नि को भी फसल से निकले दाने भेंट किए जाते हैं। लोहड़ी को सर्दियों की फसल के मौसम के उत्सव और सूर्य देवता की याद के रूप में मनाया जाता है। पारंपरिक लोहड़ी गीतों में अक्सर भारतीय सूर्य देवता को उसकी वापसी के लिए धन्यवाद दिया जाता है। लोहड़ी को आग जलाकर मनाया जाता है, जो कि एक पुरानी परंपरा है। मान्यता है कि लोहड़ी के दिन आग राजा दक्ष की पुत्री सती की याद में जलाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार राजा दक्ष ने यज्ञ करवाया तो पुत्री सती और दामाद शिव को आमंत्रित नहीं किया। इस पर सती ने अपने पिता से इसका कारण पूछा तो वो दोनों की निंदा करने लगे। इससे सती ने क्रोधित होकर उसी यज्ञ में खुद को भस्म कर लिया। सती की मृत्यु का समाचार सुनकर भगवान शिव ने यज्ञ को विध्वंस कर दिया। तभी से सती की याद में इस पर्व पर आग जलाने की परंपरा है। मकर संक्रांति पर आसमां में होगा पतंगों का राज मकर संक्रांति इस बार 14 जनवरी 2021 को मनाई जाएगी। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि छोडक़र मकर राशि में प्रवेश करते है। इस दिन जब सूर्य राशि परिवर्तन करते है उसी समय का विशेष महत्व होता है। इस साल मकर संक्रांति पर विशेष योग बन रहा है, क्योंकि सूर्य के साथ पांच ग्रह मकर राशि में विराजमान रहेंगे। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान-दान, पूजा का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में मकर राशि में सूर्य प्रवेश का विशेष महत्व माना गया है। सूर्य देव मकर संक्रांति के दिन उत्तरायण होते है। इसे सूर्य का राशि परिवर्तन भी कहते है। इस बार मकर संक्रांति कई मायनों में विशेष है। क्योंकि इस वर्ष मकर संक्रांति वृहस्पतिवार को पड़ रही है. वहीं, देव गुरु बृहस्पति इस बार मकर राशि में ही विराजमान रहेंगे। इसलिए इसे एक विशेष संयोग के तौर भी देखा जा रहा है। मकर संक्रांति के दिन स्नान, दान और सूर्य देव की आराधना का विशेष महत्व होता है। संक्रांति के पुण्य काल में दान करने से अक्षय फल एवं पुण्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, मकर संक्रांति से सूर्य देव का रथ उत्तर दिशा की ओर मुड़ जाता है। ऐसा होने पर सूर्य देव का मुख पृथ्वी की ओर होता है और वे पृथ्वी के निकट आने लगते हैं। जैसे-जैसे वे पृथ्वी की ओर बढ़ते हैं, वैसे-वैसे सर्दी कम होने लगती है और गर्मी बढऩे लगती है। फसल पकने लगती हैं। संक्रांति पूरे राजस्थान, खासकर राजधानी जयपुर में उल्लास के साथ मनाई जाएगी। इस दिन सरकारी अवकाश, कोरोना के कारण बच्चों के स्कूलों का अवकाश होने से जयपुर में उल्लास का माहौल रहेगा। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित-hindusthansamachar.in