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इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में राजस्थान की जेलों का देश में प्रथम स्थान

जयपुर, 23 फरवरी (हि. स.)। इण्डिया जस्टिस रिपोर्ट-2020 में राजस्थान की जेलों को संपूर्ण भारत में प्रथम स्थान पर रखा गया है। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष-2019 में राजस्थान की जेलों का संपूर्ण भारत में 12वां स्थान था। महानिदेशक (जेल) राजीव दासोत ने बताया कि टाटा ट्रस्ट के संयुक्त उपक्रम जिसमें उसके सहयोगी संगठनों यथा- सेन्टर फॉर सोशल जस्टिस, कॉमन कॉज, दक्ष, सीएचआरआई, प्रयास, विधि सेन्टर फॉर लीगल पॉलिसी सम्मिलित हैं, द्वारा इण्डिया जस्टिस रिपोर्ट-2020 प्रकाशित की गई है, जिसमें राजस्थान राज्य की जेलों को 10 अंकों में से 6.32 अंकों के साथ प्रथम स्थान पर आंका गया है। द्वितीय स्थान तेलंगाना राज्य है, जो 5.69 अंकों के साथ काफी पीछे है। हाल ही में जारी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट-2020 में पुलिस, न्यायपालिका, कारागार और कानूनी सहायता पर राज्यों की रैंकिग निर्धारित की गई हैं। यह एक राष्ट्रीय तथ्य पत्रक है। यह प्रतिवेदन आंंकड़ों का अध्ययन कर तैयार किया गया है। इसमें विभिन्न राज्यों में पिछले 5 वर्षों के दौरान जेलों की कार्यप्रणाली, रिक्त पद, नवाचार एवं विविधता, कार्यभार तथा मूलभूत व्यवस्थाओं आदि क्षेत्रों में हुए परिवर्तन के आधार पर रैंकिंग की गई है। दासोत ने बताया कि राजस्थान जेल विभाग द्वारा आवधिक समीक्षा की बैठकें, खुला बंदी शिविर बैठकें, स्थाई पैरोल बैठकें समय पर आयोजित होने के कारण कारागृहों की ऑक्यूपेंसी रेट 102 प्रतिशत से घटकर 94 प्रतिशत हो गई है। कारागार विभाग राजस्थान ई-प्रिजन्स तथा पिक्स (बंदियों द्वारा एस.टी.डी.फोन पर वार्ता) के संचालन में संपूर्ण भारत में प्रथम स्थान पर है। ई-प्रिजन्स, जो कि आईसीजेएस का महत्वपूर्ण अंग है, प्लेटफॉर्म पर राजस्थान जेल विभाग द्वारा वर्ष 2005 से अब तक के बंदियों के आंकड़े संधारित कर लिए हैं। पिक्स की सुविधा से बंदी अपने परिजनों से प्रति सप्ताह लगभग दो लाख मिनट वार्ता कर रहे हैं। कोरोनाकाल में मुलाकात बंद होने की स्थिति में राजस्थान जेल विभाग द्वारा बंदियों की उनके परिजनों से ई-मुलाकात अर्थात् वीडियो कॉलिंग से बात कराने की सुविधा को संपूर्ण भारत में सराहा गया है। दासोत ने बताया कि नई नियुक्तियों व पदोन्नतियों के फलस्वरूप 340 अधिकारी संवर्ग के पदों में से 208 (61.17 प्रतिशत) पद भरे जा चुके हैं। अधीनस्थ संवर्ग के 3,520 पदों में से 2,807(79.74 प्रतिशत) पद भरे हुए हैं। शेष पदों को भरने की कार्यवाही जारी है। राजस्थान में कर्मियों एवं बंदियों का अनुपात 1:6 है, जो संपूर्ण भारत में श्रेष्ठ है। महिला सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए कार्यवाही करने से विभाग में महिला कार्मिकों का प्रतिशत 19.38 प्रतिशत हो गया है। जेलों से आपराधिक गतिविधियों के संचालन पर रोकथाम में भी राजस्थान जेल विभाग संपूर्ण भारत में अग्रणी रहा है। गत दिनांक 21/11/2020 से जेलों में मोबाईल एवं निषिद्ध सामग्री की तस्करी तथा जेलों से आपराधिक गतिविधियों की रोकथाम के उद्देश्य से ‘ऑपरेशन फ्लश आउट’ प्रारंभ किया गया है, जिसके चलते बड़ी संख्या में जेलों में चल रहे मोबाईलों को बरामद किया जा चुका है तथा जेलों से आपराधिक गतिविधियां संचालित करने वाले बंदियों को दूरदराज की जेलों में शिफ्ट करके इन गतिविधियों पर अंकुश लगाने में सफलता प्राप्त की गई है। इसी प्रकार भ्रष्टाचार, मिलीभगत तथा आपराधिक गतिविधियों में लिप्त जेल कर्मियों के विरूद्ध कड़ी अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई है। राजस्थान सरकार के निर्देशों की पालना में राजस्थान की विभिन्न जेलों में कोविड महामारी का प्रबंधन भी उत्कृष्ट श्रेणी का रहा है। वर्तमान में राज्य की सभी जेलों के बंदी तथा स्टाफ कोविड-19 से मुक्त हो चुके है। जेलों में निरूद्ध बंदियों के कौशल विकास, सुधार, पुर्नस्थापन, आजीविका उपार्जन आदि क्षेत्रों में नित नये प्रयोग एवं नवाचार किए जा रहे हैं, जिसमें हाल ही में प्रारम्भ किया गया बंदियों द्वारा संचालित पेट्रोल पम्प इसका जीता-जागता उदाहरण है। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप

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