railways-moving-towards-electrification-of-all-railway-lines-by-2023
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2023 तक सभी रेल लाइनों के विद्युतीकरण की तरफ बढ़ रहा रेलवे

-उत्तर पश्चिम रेलवे ने अब तक 2190 किलोमीटर ट्रेक का किया विद्युतीकरण जयपुर, 04 जून (हि.स.)। भारतीय रेलवे द्वारा कोविड-19 की विषम परिस्थितियों में भी आधारभूत ढांचे को मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता के लिए कार्य किये जा रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण के मद्देनजर भारतीय रेलवे ने वर्ष 2020-21 में 6015 रूट किलोमीटर ब्राडगेज लाइनों का विद्युतीकरण पूरा किया जो अभी तक का सर्वाधिक है। वर्ष 2014-21 तक कुल 24,080 रूट किलोमीटर का विद्युतीकरण किया गया है जो कि वर्ष 2007-14 के 4,337 की तुलना में 455 प्रतिशत अधिक है। रेलवे द्वारा 2023 तक सभी रेल लाइनों के विद्युतीकरण करने के लिये लक्ष्यानुसार कार्य किया जा रहा है। उत्तर-पश्चिम रेलवे भी इस दिशा में तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है। उत्तर पश्चिम रेलवे के उपहाप्रबंधक (सामान्य) व मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट शशि किरण के अनुसार उत्तर पश्चिम रेलवे में रेल विद्युतीकरण के कार्य तीव्र गति से किये जा रहे हैं। विद्युतीकरण के कार्य को विगत वर्षों के बजट में प्राथमिकता प्रदान की गई है तथा सम्पूर्ण उत्तर पश्चिम रेलवे में विद्युतीकरण का कार्य स्वीकृत हो गया है। उत्तर पश्चिम रेलवे में अब तक 2190 किलोमीटर रेल लाइन पर विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण कर गया है। विद्युतीकरण का कार्य वर्ष 2014 के पश्चात प्रारम्भ किया उससे पूर्व इस रेलवे पर विद्युतीकरण शून्य था। वर्ष 2020-21 में 385 किलोमीटर रेलखण्ड के विद्युतीकरण का कार्य पूरा किया गया। रेलखण्ड रेवाड़ी-अजमेर वाया फुलेरा तथा रेवाड़ी-अजमेर वाया जयपुर रेलखण्डों पर इलेक्ट्रिक ट्रेक्षन पर यात्री रेलसेवाओं का संचालन किया जा रहा है। इसके साथ ही अजमेर से उदयपुर मार्ग का भी विद्युतीकरण कार्य पूर्ण हो गया है तथा राजस्थान के प्रमुख पर्यटक स्थल उदयपुर का जुड़ाव अजमेर, जयपुर तथा दिल्ली से इलेक्ट्रिक ट्रेक्षन से हो गया है। वर्ष 2021-22 में लगभग 980 किलोमीटर ब्राॅडगेज लाइनों को विद्युतीकृत किये जाने का लक्ष्य रखा गया है। इस वर्ष रींगस-सीकर-चूरू, सीकर-लोहारू, चूरू-रतनगढ़-लालगढ़, सूरतगढ़-लालगढ़, मारवाड़-लूनी-जोधपुर, ब्यावर-गुड़िया, मदार-पुष्कर रेलमार्ग के विद्युतीकरण का कार्य किया जाना प्रस्तावित है। 3154 रूट किलोमीटर रेलमार्ग के विद्युतीकरण का कार्य 2,584 करोड़ रुपये की लागत से होगा। सभी रेलमार्गों का विद्युतीकरण का कार्य दिसम्बर 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। रेलमार्ग के विद्युतीकरण से कई लाभ हैं। पर्यावरण की दृष्टि से डीजल इंजन के धुएं से होने वाले प्रदूषण से मुक्ति के साथ ईंधन आयात पर निर्भरता में कमी तथा राजस्व में बचत होती है। संचालन लागत में भी कमी आती है। विद्युत इंजनों की लोड क्षमता अधिक होने के कारण अधिक भार, लम्बी ट्रेनों व अधिक ट्रेनों का संचालन संभव है। विद्युत इंजनों की अनुरक्षण लागत भी कम होती है। डीजल की अपेक्षा बिजली की लागत कम होने से भी खर्च में कमी होती है। - डेडीकेटेड फ्रेट काॅरिडोर का 38 प्रतिशत हिस्सा उत्तर-पश्चिम रेलवे में -वेस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट काॅरिडोर का 38 प्रतिशत हिस्सा उत्तर-पश्चिम रेलवे में है। इसे कार्बन रहित ग्रीन परिवहन काॅरिडोर के रूप में विकसित किया जा रहा है। भारतीय रेलवे पर दो डेडीकेटेड फ्रेट काॅरिडोर इस्टर्न व वेस्टर्न का कार्य प्रगति पर है। उत्तर-पश्चिम रेलवे के न्यू मदार से न्यू अटेली स्टेशनों के 306 किलोमीटर मार्ग पर 7 जनवरी 2021 से ट्रेनों का संचालन शुरू हो चुका है। इस मार्ग पर डबल स्टैक कंटेनर ट्रेन संचालित की जा रही हैं, जिससे तीव्र गति से अधिक माल का परिवहन किया जा रहा है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर वेस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट काॅरिडोर के प्रारम्भ होने से इस क्षेत्र का विकास हो रहा है तथा रोजगार के नये अवसर विकसित हुए हैं। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीता कौशल/संदीप

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