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नई आबकारी नीति के खिलाफ दायर याचिकाएं खारिज

जयपुर, 24 मार्च (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने आबकारी नीति-2021 के खिलाफ दखल से इनकार करते हुए इस संबंध में दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि यह राज्य सरकार का नीतिगत निर्णय है। इसमें अदालत हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश सतीश शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश लक्की वाइन्स व अन्य की याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए दिए। खंडपीठ ने गत 17 मार्च को सभी पक्षों की बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिकाओं में कहा गया था कि याचिकाकर्ताओं को वर्ष 2020-21 के लिए शराब लाईसेंस दिया गया था। उस समय राज्य सरकार ने कहा था कि इस लाईसेंस अवधि को एक साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। वहीं अब नई नीति में भी सरकार लाईसेंस अवधि को एक साल बढ़ाने के लिए कह रही है। जबकि पिछले वर्ष के शराब लाईसेंस की अवधि नहीं बढ़ाई गई। याचिका में कहा गया कि प्रोमिस ऑफ स्टोपल के नियम के तहत राज्य सरकार अपने वायदे से मुकर नहीं सकती है। सरकार के वायदे के चलते ही याचिकाकर्ताओं ने शराब लाईसेंस लिया था, लेकिन सरकार ने अवधि बढ़ाने के बजाए नीलामी के जरिए दूसरे व्यवसायियों को लाईसेंस दे दिए। दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सरकार ने अवधि बढ़ाने की सिर्फ संभावना जताई थी। लाईसेंस अवधि एक साल के लिए ही होती है। इसके अलावा नई नीति के तहत सरकार को राजस्व ज्यादा मिलेगा। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने याचिकाओं को खारिज कर दिया है। हिन्दुस्थान समाचार/ पारीक/ ईश्वर

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