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निकायों के आश्रय स्थलों में अनाथ बच्चों व विधवा महिलाओं को मिलेगी छत

जयपुर, 22 जून (हि.स.)। कोरोना महामारी के संक्रमण की वजह से प्रदेश में अनाथ हुए बच्चों और विधवा महिलाओं को डे-एनयूएलएम योजना के तहत संचालित स्थाई आश्रय स्थलों में छत नसीब हो सकेगी। ऐसे बच्चों और विधवा महिलाओं की भूख मिटाने के लिए इंदिरा रसोई के माध्यम से निशुल्क भोजन भी मुहैया कराया जा सकेगा। स्थानीय निकाय निदेशालय ने इस संबंध में प्रदेश के सभी निकायों को आदेश जारी किए हैं। निदेशक दीपक नंदी की ओर से जारी किए गए आदेश में सभी निकायों को इसके लिए आवश्यक इंतजाम करने के निर्देश दिए गए हैं। स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने पिछले दिनों इस संबंध में निदेशालय से प्रस्ताव तैयार करवाया था। निदेशालय की ओर से बनाई गई रूपरेखा को धारीवाल ने हरी झंडी दिखा दी। अब निदेशालय की ओर से जारी आदेश में साफ किया गया है कि यदि निकाय में डे-एनयूएलएम योजना के अंतर्गत स्थाई आश्रय स्थल नहीं हो तो निकटतम निकाय में संचालित आश्रय में इन लोगों के ठहरने की व्यवस्था की जाए। इन विधवा महिलाओं के रोजगार को लेकर भी सरकार ने पहल की है। इन महिलाओं को डे-एनयूएलएम योजना के एसएमएण्ड आईडी घटक के तहत स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जाएगा। इसमें महिलाओं को प्रशिक्षण देकर रोजगार और स्वरोजगार के लिए बैंक से ऋण भी दिलाया जाएगा। यदि ऐसी महिलाएं पथ विक्रेता के रूप में व्यवसाय करती है, तो उन्हें वेंडिग कार्ड जारी कर प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि के अंतर्गत अनुदानित ऋण एवं वेंडिंग मार्केट में व्यवसाय के लिए प्राथमिकता से स्थान उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही अनाथ बालक, बालिकाओं, विधवा महिलाओं को उनकी योग्यता के अनुसार कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर रोजगार- स्वरोजगार से भी जोड़ा जाएगा। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ ईश्वर

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