One thousand came out of ATMs instead of 20, SBI has been traveling for four months for the remaining 19 thousand
One thousand came out of ATMs instead of 20, SBI has been traveling for four months for the remaining 19 thousand

एटीएम से 20 के बजाय निकले एक हजार, शेष 19 हजार के लिए चार माह से चक्कर कटवा रहा एसबीआई

उदयपुर, 13 जनवरी (हि.स.)। कहने को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) देश का सबसे बड़ा बैंक है, लेकिन इसकी सेवाएं अब तक स्तरीय नहीं हो सकी हैं। पैसा निकालने और जमा करवाने वाली मशीनों में आए दिन तकनीकी त्रुटियों का क्रम बन चुका है। लोगों ने अब इसे नियति मान लिया है, वे एटीएम या सीडीएम बंद देखकर कोसते हुए बाहर से ही अन्यत्र रुख कर लेते हैं। लेकिन, उस उपभोक्ता का हाल और भी खराब हो जाता है जिसके पैसे इन तकनीकी व्यवस्थाओं में फंस जाते हैं। ऐसा ही एक मामला उदयपुर शहर का है जहां एसबीआई के एक खाताधारक चार महीने से अपने फंसे हुए पैसों के लिए लोकल ब्रांच से हैड आफिस तक के चक्कर लगा रहे हैं। उनकी शिकायत एक बार तो खारिज कर दी गई, लेकिन जैसे ही उपभोक्ता ने सीसीटीवी फुटेज दिखाने और फुटेज उनको उपलब्ध कराने की मांग की, बैंक ने पुनः मामले की जांच शुरू कर दी। लेकिन, इसके बाद भी दो माह बीत चुके हैं और समाधान नहीं हुआ है। बैंक की इस हरकत ने ही कर्मचारियों की विश्वसनीयता पर संदेह खड़ा कर दिया है। मामला एसबीआई की राजस्थान विद्यापीठ परिसर की शाखा के संयुक्त खाता उपभोक्ता श्रीमती कुसुम खोखावत व ओमप्रकाश अग्रवाल से जुड़ा हुआ है। उन्होंने 13 सितम्बर 2020 को छोटी ब्रह्मपुरी स्थित एसबीआई के एटीएम से 20 हजार रुपये निकाले। एटीएम में तकनीकी गड़बड़ी होने से एक हजार रुपये ही निकले, लेकिन खाते से 20 हजार निकलने का इंद्राज हो गया। पर्ची निकलते ही उन्होंने तुरंत गार्ड को यह जानकारी दी। उसी समय वहां अंकित फोन नंबर पर सम्पर्क करने का प्रयास किया, स्थानीय फोन नहीं लगे तो टोल फ्री नंबर पर शिकायत दर्ज कराई। बस इसके बाद शुरू हुआ उन वरिष्ठ नागरिकों के चक्कर लगाने का दौर। वे अपनी शाखा में गए, बैंक कार्मिकों ने एक से दूसरी सीट पर भेजा, लेकिन संतोषप्रद जवाब नहीं दिया। टोल फ्री नंबर पर दर्ज शिकायत बिना किसी चर्चा के बैंक ने अपने स्तर पर निस्तारित कर खारिज कर दी। पर उपभोक्ता ने हार नहीं मानी और 5 नवम्बर को दुबारा दिए गए लिखित पत्र में बैंक से उस समय का सीसीटीवी फुटेज मांग लिया। बस सीसीटीवी फुटेज मांगने की देर थी कि उनकी शिकायत पुनः जीवित बता दी गई और अब यह मौखिक जवाब दिया जाने लगा है कि जांच हो रही है। उपभोक्ता ने 14 दिसम्बर और 28 दिसम्बर को पुनः पत्र लिखकर जांच की प्रगति चाही और सीसीटीवी फुटेज दिखाने की मांग की। लेकिन, अब तक न तो जांच की प्रगति की जानकारी दी जा रही है और न ही सीसीटीवी फुटेज दिखाया जा रहा है। उपभोक्ता ने आशंका जताई है कि मामला लम्बा खींचकर किसी न किसी कर्मचारी को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। इस बात की आशंका बढ़ गई है कि कुछ दिन बाद बैंक यह जवाब दे कि हम सीसीटीवी फुटेज ज्यादा पुरानी नहीं रखते, जबकि 13 सितम्बर को घटना होने के बाद 5 नवम्बर को ही सीसीटीवी फुटेज दिखाने का आग्रह कर दिया गया था। इस सम्बंध में उपप्रबंधक कार्यालय के संबंधित बैंक अधिकारी अनुराग माथुर का कहना है कि दरअसल, इस प्रकरण में चेतक सर्कल ब्रांच के जिन अधिकारी को मामला देखना था, उन्हें कोरोना हो गया, इसलिए देरी होती जा रही है। फिलहाल सीसीटीवी फुटेज मंगवा ली गई है और संबंधित राजस्थान विद्यापीठ परिसर टाउन हाॅल रोड ब्रांच को भिजवा दी गई है। वे वहां या चेतक सर्कल ब्रांच दोनों में से एक पर फुटेज देख सकते हैं। उनकी शिकायत के शीघ्र निस्तारण के प्रयास किए जा रहे हैं। आशंका जैसी कोई बात नहीं है, बस इस शिकायत का निस्तारण लम्बा हो जाने से उपभोक्ता को होने वाली परेशानी बैंक भी समझता है। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीता कौशल/संदीप-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in