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अब हर जिले में होगी प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा के प्रसार से प्रभावित इलाकों की मॉनिटरिंग

जयपुर, 19 फरवरी (हि. स.)। राज्य में वन, वन्यजीव, जैव-विविधता तथा पर्यावरण के संरक्षण, विकास एवं प्रबंध को दृष्टिगत रखते हुए राज्य के प्रत्येक जिले में थीम बेस्ड मॉनिटरिंग के चार चरण पूरे हो चुके हैं। शुक्रवार को पांचवें चरण की मॉनिटरिंग की तैयारी के लिए सभी उप वन संरक्षक तथा मुख्य वन संरक्षक की बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता प्रमुख शासन सचिव (वन एवं पर्यावरण) श्रेया गुहा ने किया। पूर्व में 4 चरणों में सघन मॉनिटरिंग पूर्ण हो चुकी है जिसमें कैम्पा क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण, राज्य के वेटलैंड, वन विभाग की पौधशालाओं तथा पुराने वृक्षारोपणों को लिया गया था। इसी श्रंखला को बढ़ाते हुए बैठक राज्य के प्रत्येक जिले में प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा के प्रसार से प्रभावित वनखंडों, घासबीड़ वह जोड़ की सघन मॉनिटरिंग कराए जाने के संबंध में विस्तार से निर्देश दिए गए। इस विषय में हाल ही में वन मंत्री सुखराम विश्नोई ने बैठक में विलायती बबूल उन्मूलन पर ठोस कार्यवाही के निर्देश दिए थे। इसी क्रम में आज की मॉनिटरिंग का मुख्य उद्देश्य ऐसे क्षेत्रों की पहचान करना है जहां से प्रोसोपिस का उन्मूलन कराना तथा उन्मूलन के पश्चात प्राकृतिक वनस्पति के रोपण, बीजारोपण तथा प्राकृतिक पुनरुत्पादन कराया जाना है। इस मॉनिटरिंग का समन्वय प्रधान मुख्य वन संरक्षक हॉफ श्रुति शर्मा तथा प्रधान मुख्य वन संरक्षक विकास डॉ दीप नारायण पाण्डेय द्वारा किया जा रहा है। मॉनिटरिंग के दौरान राज्य के प्रत्येक वन मंडल के उप वन संरक्षक तथा उनकी टीम संबंधित कार्य का मौके पर सघन मूल्यांकन करती है तथा उसका एक वीडियो बनाकर राज्य स्तर पर प्रेषित करती है। चारों विषयों में मिलाकर अभी तक 200 से अधिक स्थलों तथा कार्यों का निरीक्षण किया जा चुका है। इस अवसर पर श्रेया गुहा ने बताया कि प्रत्येक वन मंडल के कार्य को प्रत्येक उप वन संरक्षक देखते हैं तथा उससे अपने कार्यों को बेहतर करने तथा अन्यत्र हुए नवाचार को अपने यहां लागू करने का प्रयास करते हैं। वन विभाग के मुख्यालय स्तर पर भी विभिन्न जिलों से महत्वपूर्ण जानकारी का रियल टाइम में एकीकरण कर निर्देश साझा किए जाते हैं ताकि सभी वन मंडलों में उच्चकोटि का कार्य क्रियान्वयन किया जा सके। क्योंकि विश्व भर में वन एवं वन्यजीव, पर्यावरण तथा जैव-विविधता संरक्षण जैसे विषयों पर अत्यंत महत्वपूर्ण शोध हो रही है, इस शोध को त्वरित गति से प्रत्येक उप वन संरक्षक तक पहुंचाया जा कर कार्यों के क्रियान्वयन को सुधार किया जा रहा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे राज्य के सर्वश्रेष्ठ कार्यों से सीख लेकर आगे बढऩे में मदद मिलती है। इस प्रकार की सघन मॉनिटरिंग के द्वारा राज्य के विभिन्न जिलों में हो रहे कार्यों तथा विभिन्न प्रकार के नवाचारों का पता चलता है। वहीं दूसरी ओर कार्यों को और भी विज्ञान-आधारित तथा बेहतर बनाने में मदद मिलती है। थीम बेस्ड मॉनिटरिंग से प्राप्त हो रहे अच्छे परिणामों को देखते हुए भविष्य में प्राकृतिक वनों की सीमा में लगे हुए बाउंड्री पिलर्स, क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण, वन संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत लगाई गई प्रत्यावर्तन की शर्तों की पालना, वन भूमि में अतिक्रमण की स्थिति, ग्राम वासियों की वनों पर आधारित आजीविका में सुधार, उत्पादन की दृष्टि से रोपित किए गए पुराने वृक्षारोपण के विदोहन तथा उसके पश्चात पुन: रोपण, घास एवं लघु वन उपज का स्थानीय ग्राम वासियों द्वारा एकत्रीकरण इत्यादि विषयों पर थीम बेस्ड मॉनिटरिंग जारी रहेगी। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप

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