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विलुप्त हो रहे ज्ञान को आधुनिक संदर्भों में पुनर्जीवित करने की आवश्यकता - राज्यपाल

विद्यापीठ - 13वां दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने प्रदान की 1609 उपाधियां एवं 35 स्वर्ण पदक उदयपुर, 09 फरवरी (हि.स.)। जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय, उदयपुर का 13वां दीक्षांत समारोह मंगलवार को प्रतापनगर स्थित आईटी सभागार में आयोजित किया गया। राज्यपाल कलराज मिश्र ने राजभवन में अपने कार्यालय से ऑनलाइन माध्यम से 1609 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की। कार्यक्रम में 94 पीएचडी धारक, 1516 स्नातक एवं स्नातकोत्तर तथा वर्ष 2019 में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले 35 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। इससे पूर्व एकेडमिक व बोम सदस्यों की ओर से अकादमिक शोभायात्रा निकाली गई। संस्थागीत व दीप प्रज्वलन के बाद राज्यपाल ने संविधान की प्रस्तावना एवं संविधान के अनुच्छेद 51 (क) में वर्णित मूल कर्तव्यों का वाचन किया। इस अवसर पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि दीक्षांत का अर्थ है दीक्षित होकर नए जीवन में प्रवेश करना। यह शिक्षा का अंत नहीं बल्कि ऐसी शुरुआत है जिसमें सीखे हुए ज्ञान का उपयोग विद्यार्थी समाज व राष्ट्र के निर्माण में कर ज्ञान का आलोक चहुंओर फैलाता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि शिक्षण संस्थाएं नई शिक्षा नीति के आलोक में ऐसी शिक्षा प्रदान करेंगे जिससे भारतीय जीवन मूल्य व संस्कृति के साथ-साथ पूरा समाज पोषित और संपन्न हो सकेगा। उन्होंने कहा कि गौतम बुद्ध कहते थे-अप्प दीपो भवः, अर्थात अपने दीपक स्वयं बनो, वे चाहते हैं कि विद्यार्थी अपने ज्ञान के आलोक में स्वयं आलोकित होकर समाज व राष्ट्र को आलोकित करें। विद्यापीठ के संस्थापक पं. नागर के व्यक्तित्व व कृतित्व को नमन करते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह उनकी दूरगामी सोच का ही परिणाम है कि उन्होंने राजस्थान के सुदूर आदिवासी अंचल में वंचित वर्गों को शिक्षा के लिए बरसों पहले शुरुआत की। राज्यपाल ने कहा कि यह समय सूचनाओं पर तेजी व विशेषाधिकार प्राप्त करने का है। विलुप्त हो रहे ज्ञान को आधुनिक संदर्भों में पुनर्जीवित करें, ऐसे पाठ्यक्रम विकसित करें जिनमें स्थानीय ज्ञान व विज्ञान को सहेजते हुए विद्यार्थी आत्मनिर्भर भारत को आगे बढ़ाने में सक्षम हो सकें। शिक्षण में नवाचार होने चाहिए। कोविड के दौर ने सूचना व संचार तकनीकों का महत्व स्थापित किया है। अब आवश्यकता तकनीक के माध्यम से ऐसी शिक्षा के प्रसार की है जिससे विद्यार्थी रटंत की जगह व्यावहारिक शिक्षा प्राप्त कर सके। स्थानीय संसाधनों और संस्कृति के धरोहर के संरक्षण में भी तकनीक का अधिकाधिक उपयोग करें। अध्यक्षता करते हुए विद्यापीठ विवि के कुलाधिपति प्रो. बलवंत एस जानी ने कहा कि मेवाड़ ने राष्ट्र को ऐसे शिक्षक दिए जिन्होंने भारतीय जनमानस में आजादी की अलख जगाई। यही नहीं, पं. जनार्दनराय नागर जैसे मनीषियों ने शिक्षा के साथ ही आजादी के आंदोलन में भी हिस्सा लिया। ऐसे उदाहरण बिरले मिलते हैं कि संस्थापक ने खुद कुलगीत भी लिखा। यहां के दीक्षित विद्यार्थी राष्ट्रप्रीति, राष्ट्रभक्ति की भावना से ओतप्रोत हैं। उनकी बौद्धिक क्रियाशीलता व प्रज्ञा भारत के मस्तिष्क को विश्व में ऊंचा कर रही है। स्वागत उदबोधन एवं प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने कहा कि 83 वर्ष पूर्व 21 अगस्त 1937 को विद्या के प्रसार का महा अनुष्ठान स्वतंत्रता सेनानी मनीषी कीर्तिशेष पंडित जनार्दनराय नागर ने मात्र 3 रुपये के किराये के भवन से किया था जो आज 50 करोड़ के वार्षिक बजट एवं 7 हजार से अधिक विद्यार्थियों के साथ वटवृक्ष बन गया है। राजस्थान विद्यापीठ हमेशा अभावों की संस्था रही है लेकिन भाव हमेशा प्रधान रहे। नई शिक्षा नीति के माध्यम से हमें आत्मनिर्भर भारत का सपना सच करते हुए भारत को फिर से विश्वगुरु बनाना है। अति विशिष्ठ अतिथि राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता आर.एन. माथुर ने कहा कि अच्छे राष्ट्र के निर्माण में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है। नई शिक्षा नीति में राष्ट्र की धरोहर के सभी मूल्य प्रतिष्ठित होते हैं। एक भाषा, एक राष्ट्र पर बल देते हुए नई शिक्षा नीति पुरातन गौरव को पुनः प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। कुल प्रमुख भंवरलाल गुर्जर, रजिस्ट्रार डॉ. हेमशंकर दाधीच ने भी विचार व्यक्त किए। बेटियों ने मारी बाजी समारोह में 2019 में यूजी एवं पीजी में 35 उत्कृष्ट छात्र-छात्राओं को गोल्ड मैडल दिए गए। इनमें 32 छात्राओं के नाम रहे। जिन 94 पीएचडी धारकों को डिग्री प्रदान की गई उनमें 11 कम्प्यूटर साइंस, 5 सोशल वर्क, 28 एज्यूकेशन, 2 राजनीति, 2 इतिहास, 7 भूगोल, 3 अर्थ शास्त्र, 2 संस्कृत, 6 हिन्दी, 7 मैनेजमेंट, 1 एकाउंट्स, 5 मेडिसन, 3 व्यावसायिक प्रशासन, 4 अंग्रेजी, 4 समाजशास्त्र, 1 आर्कियोलॉजी, 5 होम्योपैथी विषय में हैं। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीता कौशल/संदीप-hindusthansamachar.in

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