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ऊंट के विकास एवं संरक्षण हेतू राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र खोज रहा है बहुआयामी बेहतर विकल्प : डॉ. साहू

बीकानेर, 28 जनवरी (हि.स.)। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी) के नए निदेशक डॉ. आर्तबंधु साहू ने गुरुवार को कहा कि ऊंट के विकास एवं संरक्षण हेतु केन्द्र द्वारा बहु आयामी बेहतर विकल्प खोजे जा रहे हैं। मसलन् ऊंटनी के दूध में विद्यमान औषधीय गुणधर्मों को देखते हुए इसे एक 'दूधारू पशु' के रूप में स्थापित किए हेतु सफलता की ओर अग्रसर है। उष्ट्र दूध पर गहन शोध उपरांत ही यह पाया गया कि मधुमेह, टीबी, ऑटिज्म आदि मानवीय रोगों के प्रबंधन में यह दूध लाभदायक है। केन्द्र के सतत प्रयासों द्वारा ही एफएसएसएआई से ऊंटनी के दूध को कार्यात्मक खाद्य (फंक्शनल फूड) पदार्थ के रूप में मान्यता मिलने से देश में उष्ट्र दुग्ध विपणन की प्रबल संभावनाएँ जाग्रत हुई है। नतीजतन, आज ऊँट पालकों के कई गैर सरकारी संगठन तथा निजी एजेन्सियाँ, एनआरसीसी से प्रशिक्षित एवं प्रेरित होकर इस विपणन क्षेत्र में पदार्पण करते हुए लाभ कमा रहे हैं। इको टूरिज्म को बढ़ावा देने हेतू विभिन्न गतिविधियां डॉ साहू ने कहा कि पारिस्थिकीय पर्यटन (इको.टूरिज्म) को बढ़ावा देने हेतु केन्द्र द्वारा ऊंट संग्रहालय, उष्ट्र सवारी, ऊंट.गाड़ी सवारी, उष्ट्र दुग्ध डेयरी, उष्ट्र दुग्ध पार्लर, उष्ट्र बाड़ों के भ्रमण जैसी विविध गतिविधियां नियमित तौर पर संचालित किए जाने के अलावा अन्तर्राष्ट्रीय ऊंट उत्सव के तहत एनआरसीसी में ऊंट दौड़ प्रतियोगिता की सफलता आदि देखते हुए बदलते परिदृश्य में ऊंट को पर्यटन-मनोरंजन आदि से जुड़े ऐसे अनेकानेक नए आयामों के रूप में भी स्थापित करना समय की मांग है। ऊंट प्रजाति में ऐसी अनेकानेक प्रबल संभावनाएं विद्यमान हैं जिससे ऊंट पालक भाइयों की आमदनी में बढ़ोतरी की जा सकती है तो निश्चित तौर पर वे इस व्यवसाय से जुड़े रहेंगे। ऊंटनी के दूध के औषधीय महत्व के साथ इसका बेहतर व्यावसायीकरण डॉ. साहू ने कहा कि केन्द्र के भावी परिदृश्य में ऊंट उत्पादन में बढ़ोत्तरी, ऊँटनी के दूध के औषधीय महत्व के साथ इसके बेहतर व्यावसायीकरण, बालों-खाद की उपयोगिता, उष्ट्र पर्यटन-उष्ट्र दौड़ एवं इसकी शारीरिक विलक्षणताओं के विकास एवं इस व्यवसाय के विविध एवं अन्य संभावित क्षेत्रों में उष्ट्र उपयोगिता को सिद्ध किए जाने हेतु आने वाली चुनौतियों के समाधान तलाशते हुए व्यावहारिक एवं गुणवत्तापूर्ण सुधार लाने की दिशा में तीव्र अनुसंधानिक प्रयास किए जाने की मंशा जाहिर की तथा कहा कि रेगिस्तान के इस जहाज 'ऊंट' की औषधीय एवं अन्य उपयोगिताओं को जन-जन तक प्रसारित करने की महत्ती आवश्यकता है। उष्ट्र प्रजाति की औषधीय उपयोगिता एवं उष्ट्र पालन व्यवसाय की भावी संभावनाओं को लेकर मीडियाकर्मियों के साथ भी एक सम्मेलन का आयोजन शुक्रवार, 29 जनवरी को रखा गया है जिसमें डॉ. साहू विषय-विशेषज्ञ वैज्ञानिकों के साथ मीडियाकर्मियों से मुखातिब होंगे। हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/संदीप-hindusthansamachar.in

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