muslim-society-remembers-ancestors-on-shab-e-baaraat
muslim-society-remembers-ancestors-on-shab-e-baaraat

शब-ए-बारात पर मुस्लिम समाज ने किया पूर्वजों को याद

जयपुर, 29 मार्च (हि.स.)। इस्लामिक साल के आठवें महीने की 15 तारीख को मनाया जाने वाला शब-ए-बारात का त्योहार रविवार को प्रदेश में परंपरागत रूप से मनाया गया। कई इलाकों में शब-ए-बारात का यह त्योहार सोमवार को भी मनाया जाएगा। शब-ए-बारात के पर्व पर लोगों ने अपने पूर्वजों को याद किया। शब-ए-बारात के मौके पर प्रदेश के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों की मस्जिदों में नमाजियों का हुजूम उमड़ा, वहीं घरों में विशेष दुआएं की गई और अपने पूर्वजों को याद किया गया। बड़ी संख्या में लोग कब्रिस्तान में अपने पूर्वजों की मजार पर फातिहा पढऩे भी पहुंचे और पूर्वजों के बख्शीश की दुआएं भी मांगी गई। लोगों ने अपने घरों में पूरी रात खुदा की इबादत की। शाम को ईशा की नमाज पढऩे में भी युवाओं में खासा जोश रहा। मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में स्थित मस्जिदों में शब-ए-बारात को देखते हुए रोशनी भी की गई। शब-ए-बारात के मौके पर किसी भी तरह से माहौल खराब नहीं हो, इसके लिए बड़ी तादाद में पुलिस जाब्ता भी लगाया गया। सुन्नी दावते इस्लामी से ताल्लुक रखने वाले सैयद कादरी ने बताया कि शब-ए-बारात का त्योहार मुस्लिम समाज में अहम स्थान रखता है और इसे अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। शब-ए-बारात के दिन लोग पूरी रात जागकर अपने पूर्वजों के लिए फातिहा पढ़ते हैं। शब-ए-बारात दो शब्दों शब और बारात से मिलकर बना है, जहां शब का अर्थ रात से होता है, वहीं बारात का मतलब बरी होना है। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ ईश्वर

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in