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पांच साल से मृगवन बन्द, बस्सी सेंचुरी में शिफ्ट होंगे चीतल व सांभर

चित्तौड़गढ़, 27 मार्च (हि.स.)। विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग पर 35 हेक्टर क्षेत्र में बने मृगवन से चीतल व सांभर को बस्सी सेंचुरी में स्थानांतरित करने के लिए डीएफओ (वन्य जीव) ने जयपुर मुख्यालय उच्च अधिकारियों को पत्र भेजा है। मृग वन लगभग पांच वर्षों से पर्यटकों के लिए बन्द है। यहां निवास कर रहे वन्य जीवों की वंशवृद्धि अधिक तेजी से बढ़े इसको लेकर वन्य जीवों को स्थानांतरित करने के लिए लिखा है। चित्तौड़ दुर्ग पर प्राकृतिक आवास में विचरण करने वाले वन्य जीवों के रूबरू होने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया द्वारा मृग वन का शुभारंभ किया गया था। लेकिन सरकारी नियमों के चलते इसे पांच वर्ष पूर्व बन्द कर दिया गया। दुर्ग के दक्षिणी भाग में 35 हेक्टर शेत्र में पहले मृग वन का शुभारंभ 5 अप्रैल 1971 में हुआ था। यहां चीतल, हिरण, सांभर सहित अन्य कई वन्य जीवों को रखा गया। यहां पर्यटकों को सशुल्क प्रवेश देने की व्यवस्था की गई थी। दुर्ग पर देश-विदेश से आने वाले सैलानियों के लिए मृगवन विशेष आकर्षण का केंद्र वर्षों तक बना रहा। लेकिन करीब 5 वर्ष पूर्व सरकार ने चिड़ियाघर नियमों का हवाला देते हुए इसे बंद कर दिया। इसके साथ ही यहां रहने वाले दर्जनों वन्य जीवों को भी कही और शिफ्ट करने के आदेश दे दिए गए थे। लेकिन अभी तक यह वन्य जीव यहीं रह रहे हैं। - करीब 38 चीतल व सांभर डीएफओ (वन्य जीव) डॉक्टर टी मोहनराज ने बताया कि वर्तमान समय में यहां 14 सांभर और 24 चीतल मौजूद है। उन्हें बस्सी सेंचुरी में स्थानांतरित करने के लिए जयपुर मुख्यालय पर आग्रह पत्र भेजा गया है। डॉ मोहनराज का कहना है कि वन्य जीवों को बस्सी सेंचुरी में भेजने से उन्हें खुली जगह मिल जाएगी। इससे उनकी ब्रीडिंग बढ़ने की संभावना ज्यादा से ज्यादा हो जाएगी। खुली एवं ज्यादा जगह में जाने से इनकी वंशवृद्धि भी तेजी से होगी। वहीं, दूसरी और बस्सी सेंचुरी में भी पर्यटन को बढ़ावा मिल सकेगा। वहां पर पैंथर को भी खाना मिल पाएगा, जिससे वे गांवों में नहीं आएंगे। - हरे चारे की कर दी व्यवस्था उन्होंने बताया कि गर्मी बढ़ने के साथ ही वन्य जीवों के लिए हरे चारे की व्यवस्था शुरू कर दी है। प्रतिदिन चारा डाला जा रहा है। ककड़ी और तरबूज भी दी जा रही है। वहीं, देखा जाए तो मृगवन की देखभाल केवल दो कर्मचारियों के कंधे पर है। कर्मचारियों की कमी के कारण मृगवन अपनी सुंदरता खो रहा है। क्योंकि इसकी देखभाल सही ढंग से नहीं हो पा रही है। पर्यटक भी निराश लौट रहे है। हिंदुस्तान समाचार/अखिल/ ईश्वर

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