मेवाड़ के इतिहास को कलंकित करने का सुनियोजित प्रयास - डॉ. देव कोठारी
मेवाड़ के इतिहास को कलंकित करने का सुनियोजित प्रयास - डॉ. देव कोठारी

मेवाड़ के इतिहास को कलंकित करने का सुनियोजित प्रयास - डॉ. देव कोठारी

उदयपुर, 08 जुलाई (हि.स.)। जाने-माने इतिहासविद् और प्रताप गौरव केन्द्र उदयपुर के उपाध्यक्ष डॉ. देव कोठारी ने कहा है कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार मेवाड़ के इतिहास को कलंकित करने का सुनियोजित प्रयास कर रही है। पाठ्यपुस्तकों में मनमाने तरीके से तथ्यों में फेरबदल कर दिया गया है जिसकी अनुमति लेना तो दूर पाठ्यक्रम समिति को सूचना तक नहीं दी गई है। वे स्वयं पाठ्यपुस्तक के समिति के संयोजक हैं और इसी बात को लेकर आहत हैं कि मेवाड़ के ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ हुई है और नाम उनका जा रहा है, ऐसे में उन्होंने सरकार पर मानहानि का दावा करने का मानस बनाया है। यह बात उन्होंने बुधवार को उदयपुर के प्रताप गौरव केन्द्र में आयोजित पत्रकारा वार्ता में कही। निर्धारित दूरी और कोरोना से बचाव का ध्यान रखते हुए आयोजित इस प्रेसवार्ता में उन्होंने कहा कि राज्य में कांग्रेस सरकार बनते ही सरकार ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम में विकृतियां लाना प्रारंभ कर दिया। इसी प्रयोजन के दृष्टिगत प्रो. बी.एम.शर्मा की अध्यक्षता में एक कमेटी का निर्माण किया जिसने पाठ्यक्रम संबंधी इतिहास की पुस्तकों में अनावश्यक परिवर्तन प्रारंभ कर दिया। आश्चर्य तो यह है कि पूर्व में नियुक्त विषयानुसार संयोजकों को न तो बदला और न ही इन परिवर्तनों पर उनसे किसी प्रकार का मशवरा किया, पाठ्य पुस्तकों में पूर्व के संयोजकों का नाम यथावत रख दिया। ऐसे सभी संयोजक, बी.एम.शर्मा तथा सरकार द्वारा किए गए इन कृत्यों से आहत हैं। कक्षा 12 की भारत का इतिहास पुस्तक में ‘मुस्लिम आक्रमण : उद्देश्य और प्रभाव’ के अंतर्गत हल्दीघाटी युद्ध का वर्णन करते हुए प्रताप की हार तथा उसके कारणों का उल्लेख है। अनर्गल तथ्यों को लिखकर मेवाड़ के इतिहास को कलंकित करने का प्रयास किया गया है। ऐतिहासिक तथ्यों को दरकिनार कर प्रताप को प्रेरणास्रोत के बजाय कलंकित करने का कार्य किया गया है, जबकि विभिन्न तथ्यों में सबसे बड़ा तथ्य ही यह है अकबर ने मानसिंह की ड्योढ़ी बंद कर दी, इसका मतलब महाराणा प्रताप की विजय हुई थी और पुस्तक में उन्हें हारा हुआ लिख दिया गया। इसी क्रम में पाठ्यपुस्तकों में हल्दीघाटी के नामकरण को लेकर हास्यास्पद कारण दिए गए हैं। किसी महेन्द्र भाणावत नाम के व्यक्ति जिसका इतिहास विषय से कोई सरोकार नहीं है, उसकी पुस्तक के हवाले से पाठ्यपुस्तकों में यह लिख दिया गया कि युद्ध में प्रताप की पत्नी के नेतृत्व में नवविवाहिताओं ने भाग लिया और उन्होंने हल्दी के रंग के परिधान धारण किए इसलिए उस जगह का नाम हल्दीघाटी पड़ गया। जबकि, यह सर्वविदित है कि हल्दीघाटी के मिट्टी का रंग पीला होने से युद्ध के पहले से ही अरावली पर्वतमाला के इस दर्रे का नाम हल्दीघाटी था। ऐसे तथ्यों को किस तरह स्वीकार किया जा सकता है। प्रेसवार्ता में प्रताप गौरव केन्द्र के महामंत्री पूर्व कुलपति डॉ. परमेन्द्र दशोरा, इतिहासकार डॉ. केएस गुप्त, वीर शिरोमिणि महाराणा प्रताप समिति के अध्यक्ष और उदयपुर नगर निगम के महापौर गोविन्द सिंह टांक ने भी संबोधित किया। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीता कौशल/संदीप-hindusthansamachar.in

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