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महाराणा प्रताप ने किया था पूरे देश में प्रखर राष्ट्रवाद का शंखनाद- राज्यपाल

जयपुर, 13 जून(हि.स.)। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि महाराणा प्रताप ने मातृभूमि के लिए प्रतिबद्धता पूर्वक संघर्ष, स्वाभिमान और सभी वर्ग के लोगों को संगठित कर उन्हें देश के लिए जागरूक करने का जो कार्य किया, उसे इतिहास कभी भुला नहीं सकेगा। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप ने अपनी वीरता और साहस से पूरे देश में प्रखर राष्ट्रवाद का शंखनाद किया। राज्यपाल मिश्र रविवार को मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती के अवसर आयोजित राष्ट्रीय समारोह में आनलाइन सम्बोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने कहा कि महाराणा प्रताप के स्वाधीनता संघर्ष में उनका नैतिक और चारित्रिक बल ही सबसे बड़ी शक्ति था। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप को उनके असाधारण साहस, अपरिमित शौर्य, मातृभूमि के प्रति अटूटनिष्ठा, अदम्य संघर्ष, त्याग और बलिदान के साथ ही कुशल नेतृत्व क्षमता, समानता तथा उदारता के लिए भी सदा याद किया जाता रहेगा। उन्होंने कुशल संगठन कौशल से मातृभूमि के संघर्ष के लिए राजपूत वीरों को ही नहीं आदिवासी भील, ब्राह्मण पुरोहित, वैश्य व्यापारी, हिन्दू मुसलमान सभी को साथ लिया। राज्यपाल मिश्र ने कहा कि महाराणा प्रताप ऐसे वीर शिरोमणि थे, जिनका पूरा जीवन ही आदर्शों से ओत-प्रोत और प्रेरणा देने वाला है। उन्होंने राज-पाट का वैभव त्याग कर पहाड़ों और वनों में संघर्षमय जीवन जिया लेकिन अकबर के समक्ष कभी अपना सर नहीं झुकाया। उन्होंने आदिवासी और वनवासी भीलों के साथ रहते हुए और उन्हीं की तरह जीवन जीते हुए मुगलों को हर मोर्चे पर टक्कर ही नहीं दी बल्कि उन्हें बार-बार परास्त भी किया। कार्यक्रम में विधानसभाध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने कहा कि मातृभूमि की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए जीवन में अनेकों कठिनाइयों को सहते हुए महाराणा प्रताप ने जिस अदम्य साहस, शौर्य और पराक्रम का परिचय दिया, इस कारण ही उन्हें प्रातः स्मरणीय और वीर शिरोमणि कहा जाता है। उनमें समाज की सभी जाति, धर्म और सम्प्रदाय के लोगों को संगठित करने और उन्हें साथ लेने की अद्भुत नेतृत्व क्षमता थी। उच्चच शिक्षा राज्य मंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि महाराणा प्रताप की लड़ाई अपने लिए नहीं बल्कि मेवाड़ के आम जनता के लिए थी। त्याग, बलिदान, निरंतर संघर्ष और स्वतंत्रता के रक्षक के रूप में सबसे अग्रगण्य नाम महाराणा प्रताप का आता है। महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन के अध्यक्ष अरविंद सिंह मेवाड़ ने कहा कि महाराणा प्रताप आजीवन समस्त राजपूताना को एक करने के प्रयास में लगे रहे। उनकी सोच हमेशा यही रही कि खुद को नहीं बल्कि देश को आगे बढ़ाएं। आज भी विपदाओं और विपरीत परिस्थितियों का सामना करने की प्रेरणा महाराणा प्रताप से मिलती है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अमेरिका सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय ने राज्यपाल मिश्र की घोषणा के अनुरूप मेवाड़ शोधपीठ की स्थापना कर महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व और कृतित्व के विभिन्न पक्षों पर शोध का कार्य प्रारम्भ कर दिया है। उन्होंने बताया कि विवि के विभिन्न संकायों के सभागारों और भवनों का नामकरण भी महाराणा प्रताप के जीवन और मेवाड़ से जुड़े महान व्यक्तित्वों के नाम पर किया गया है। इतिहासकार डॉ. चन्द्रशेखर शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि महाराणा प्रताप का विराट व्यक्तित्व शौर्य और वीरता का प्रतीक तो है ही, साथ मे विश्व मानववाद और विश्व कल्याण का भी द्योतक है। हिन्दुस्थानन समाचार/संदीप/ ईश्वर

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