letter-to-pm-modi-finance-minister-sitharaman-it-is-necessary-to-solve-the-problems-related-to-gst
letter-to-pm-modi-finance-minister-sitharaman-it-is-necessary-to-solve-the-problems-related-to-gst

पीएम मोदी, वित्त मंत्री सीतारमण को पत्र:जीएसटी से जुड़ी समस्याओं का निवारण करना जरुरी

बीकानेर, 20 फरवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री निर्मला सीमारमण को बीकानेर पापड़-भुजिया मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष वेदप्रकाश अग्रवाल ने शनिवार को जीएसटी से जुड़ी समस्याओं का निवारण करने के लिए पत्र लिखा है और कहा है कि निवारण करना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि इन मध्यमवर्गीय व्यापारियों को लगातार जीएसटी के नोटिस मिल रहे हैं जो कि उनकी मुश्किलें और बढ़ा रहे हैं। जिस संख्या में जीएसटी नोटिस जारी हो रहे हैं उसी से मान लेना चाहिए कि प्रक्रिया कितनी कठिन है और इनका पालन करने में कई तकनीकी गलतियां हुई है अब उन गलतियों को सुधारने का मौका है। अग्रवाल ने पत्र में लिखा कि अगर इन गलतियों को सुधारा नहीं गया तो जीएससटी डीलर्स के बहुत सारे मामले अदालतों में जाएंगे जो किसी भी सरल कर प्रणाली के लिए उचित बात नहीं है। अग्रवाल ने पत्र में लिखा कि जीएसटी एक नया कर था और भारत के उद्योग व्यापार ने इसके पालन करने में पूरी मेहनत और ईमानदारी से सहयोग दिया है लेकिन इसके पालन में प्रारंभिक समय से उद्योग और व्यापार से काफी तकनीकी गलतियां हुई है लेकिन इस प्रकार की तकनीकी गलतियों में किसी भी प्रकार की कर चोरी की भावना नहीं होती क्योंकि जीएसटी के प्रमुख रिटर्न जीएसटीआर में गलती के संशोधन का कोई प्रावधान नहीं था तो यह गलतियां सुधर ही नहीं सकी जीएसटी से पहले अप्रत्यक्ष कर कानून था जिसके सरलीकरण के लिए जीएसटी लाया गया उस कानून में जिसमें सर्विस टैक्स वेट और सेंट्रल एक्साइज भी शामिल थे। रिटर्न को संशोधित करने की सुविधा थी आयकर का रिटर्न भी संशोधित किया जा सकता है फिर जीएसटी कर जोकि सरलीकरण के लिए लाया गया था उसमें इस तरह की सुविधाजनक प्रतिबंध लगाने का कोई तर्क नहीं है और यदि जीएसटी के रिटर्न संशोधित करने का प्रावधान कर दिया जाए तो जीएसटी रिटर्न एवं कर निर्धारण में होने वाली अधिकांश समस्याएं हल हो जाएगी और यह सभी समस्याएं हल हुए बिना वार्षिक रिटर्न भी कर निर्धारण में अधिकारियों की कोई मदद नहीं कर पाएंगे और इसके अभाव में सारे कर निर्धारण नोटिस जारी करने के बाद ही होंगे जो कि जीएसटी के सरलीकरण के सिद्धांत के विरुद्ध है जीएसटी का नेटवर्क जीएसटी लागू होने के बाद कभी भी अच्छी तरह से काम नहीं कर पाया है और जीएसटी का अधिकांश परेशानियों का कारण यही जीएसटी नेटवर्क है जिसकी गति एवं क्षमता को बढ़ाना अति आवश्यक है और इस नेटवर्क को शीघ्र दुरुस्त करने का कष्ट करें ताकि जीएसटी की प्रक्रियाओं का पालन में व्यापारी वर्ग को परेशानी ना हो। अग्रवाल ने कहा कि बीते 4 वर्षों में जीएसटी में करीब 950 संशोधन लाए गए हैं। कोई भी संशोधन लाने से पहले व्यापारियों से कोई बातचीत नहीं की और न ही जीएसटी को लेकर व्यापारियों की परेशानियों को जानने का कोई प्रयास ही किया प्रत्येक दिन एक नया प्रावधान लागू कर दिया जाता है जिसकी पालना करना व्यापारियों के लिए बेहद मुश्किल भरा है। वर्तमान में जो जीएसटी का स्वरुप है, यदि उसके विरोध में आज आवाज नहीं उठाई तो अब व्यापार करना बेहद मुश्किल हो जाएगा। इसलिए जीएसटी के कुछ वर्तमान प्रावधानों को जानना और समझना तथा अपने साथी व्यापारियों को भी बताना बेहद जरूरी है। हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/संदीप

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in