उर्दू ड्रामा फेस्टिवल में ऐतिहासिक मुशायरे की दास्तां, खुसरो बने गवाह
जयपुर, 13 मार्च (हि. स.)। राजस्थान उर्दू अकादमी की ओर से दो दिवसीय उर्दू ड्रामा फेस्टिवल का आगाज शनिवार को जवाहर कला केन्द्र के रंगायन सभागार में हुआ। फेस्ट के पहले दिन दिल्ली के नामचीन निर्देशक एम सईद आलम के निर्देशन में उर्दू नाटक गजल का सफर-अमीर खुसरो से फैज अहमद फैज तक की प्रस्तुति हुई। इसके बाद मुशायरे की शुरुआत हुई। जिसमें ऐतिहासिक शायरने कलाम पढ़े। सबसे पहले परवीन शाकिर कैसे कह दूं कि मुझे छोड़ दिया है उसने, बात तो सच है मगर बात है रुसवाई की सुनाते हुए तालियां बटोरी। इसके बाद फैज, जोश, इकबाल, अकबर इल्हाबादी, दाग दहलवी, मीर अनीश, मिर्जा गालिब, मीर तकी मीर, वलीद अकनी और अमीर खुसरो ने अपनी रचनाएं पढ़ी। नाटक में जाने-माने अभिनेता अभिनव चतुर्वेदी अमीर खुसरो के किरदार में मंच पर नजर आए। उनके साथ आरफा नुरी, अनस फैजी, जावेद हसन, वामिक जेया, सुमित भारद्वाज, आर्यन कुमार, एम सईद आलम, सईद ताजिया, संदीप पेहवा, राहुल पासवान, भूमि सिराज ने अभिनय किया। म्यूजिक अभिनव चतुर्वेदी का रहा। कार्यक्रम में रवीन्द्र मंच प्रबंधक शिप्रा शर्मा ने गजल तारीख के आईने में विषय पर की-नोट एड्रेस पेश किया। उन्होंने कहा कि उर्दू जबान को बोलना, सुनना, पढऩा और सीखना इससे मोहब्बत करने जैसा है। यह जुबान सिर्फ ख्यालों की अदायगी और कम्यूनिकेशन का माध्यम ही नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति की तस्वीर है। अभिनव चतुर्वेदी ने बताया कि वे थिएटर को सबसे नजदीक पाते है, क्योंकि इसमें ऑडियंस के रिएक्शन सामने ही नजर आते हैं। हमें ऑडियंस की रसीद तालियों के रूप में मिलती है। मैं हमेशा जिस भी प्रोजेक्ट से जुड़ता हूं, सीखने के नजरिए से ही कनेक्ट करता हूं। राजस्थान उर्दू अकादमी के सचिव मोअज्जम अली ने बताया कि रविवार को निर्देशक साबिर खान के नाटक मंटो हाजिर हो की प्रस्तुति होगी। इस दौरान मौजूदा दौर में मंटो विषय पर कानपुर की हिना आफशां की-नोट एड्रेस पेश करेंगी। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप