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35 आयुष कॉलेजों की आधी सीटें खाली

छात्रों को तरस गए आयुष कॉलेज, केवल आयुर्वेद की सभी सीटों पर मिला प्रवेश जोधपुर, 05 अप्रैल (हि.स.)। प्रदेश में आयुष चिकित्सा पाठ्यक्रम को इस साल तगड़ा झटका लगा है। आयुर्वेद को छोडकऱ होम्योपैथी, यूनानी और प्राकृतिक चिकित्सा एवं योगा पाठ्यक्रम में विद्यार्थियों ने प्रवेश लेने में कोई रुचि नहीं दिखाई। होम्योपैथी कॉलेजों की करीब 65 प्रतिशत, प्राकृतिक चिकित्सा कॉलेजों की करीब 75 प्रतिशत और यूनानी कॉलेजों की लगभग 54 प्रतिशत सीटें खाली पड़ी हैं। प्रदेश में 35 आयुष कॉलेज हैं। इसमें 11 आयुर्वेद, 10 होम्यापैथी, 3 यूनानी और 11 प्राकृतिक चिकित्सा एवं योगा के कॉलेज हैं। इन 35 में से केवल तीन सरकारी कॉलेज हैं। इनमें जोधपुर का यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ आयुर्वेद, उदयपुर का एमएमएम राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय और टोंक स्थित यूनानी राजकीय महाविद्यालय शामिल है। काउंसलिंग प्रक्रिया जनवरी के प्रथम सप्ताह में शुरू हो गई थी। तब केवल 7 कॉलेजों ने भाग लिया था, जिनमें तीन सरकारी थे। केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने शेष कॉलेजों को मिनिमम स्टैंडर्ड रेगुलेशन्स (एमएसआर) पूरे नहीं करने पर प्रवेश की अनुमति नहीं दी। कइयों में तो एक ही शिक्षक की ड्यूटी दो तीन कॉलेजों में दिख रही थी। प्रदेश के करीब 50 ऐसे आयुष शिक्षकों को केंद्रीय भारतीय चिकित्सा परिषद (सीसीआईएम) ने दस साल के लिए बैन कर दिया था। फरवरी-मार्च महीने में सभी कॉलेज हाईकोर्ट की अंतरित अनुमति व कुछ गवर्नर के आदेश से काउंसलिंग में शामिल हुए। हालांकि कॉलेजों की बदतर स्थिति और भारी भरकम फीस को देखते हुए विद्यार्थियों ने प्रवेश लेना उचित नहीं समझा। आयुष की चार चिकित्सा पद्धतियों में से केवल आयुर्वेद कॉलेजों की ही सीटें उच्च वरियता सूची के साथ भरी गई हैं। प्रदेश में आयुर्वेद के 11 कॉलेजों में कुल 757 सीटें हैं, जो सभी भर चुकी हैं। सबसे पहले जोधपुर के यूनिवर्सिटी कॉलेज की 125 और उदयपुर के सरकारी कॉलेज की 62 सीटें भरी गईं। प्रदेश में आयुष के 35 कॉलेजों की कुल 2 हजार, 491 सीट में से करीब 1 हजार,158 सीटें खाली हैं। वैसे आयुष की सभी 757 सीटें भर चुकी हैं। इसके विपरीत होम्योपैथी की 745 में से 482, प्राकृतिक चिकित्सा एवं योगा की 860 में से 606 और यूनानी की 129 में से करीब 70 सीटें खाली पड़ी हैं। हिन्दुस्थान समाचार/सतीश / प्रभात ओझा

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