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काॅर्पोरेट को फायदा पहुंचाने के लिए कानून बना रही सरकार - वृंदा करात

उदयपुर, 10 फरवरी (हि.स.)। आदिवासी जनाधिकार एका मंच की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद वृंदा करात ने केन्द्र की मोदी सरकार को काॅर्पोरेट को फायदा पहुंचाने के लिए कानून बनाने वाली सरकार बताते हुए किसानों के प्रति इस्तेमाल किए गए शब्द पर भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के शब्द किसानों के प्रति अपमानजनक हैं, उन्हें इन शब्दों को वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व है कि वे आंदोलनजीवी हैं, लेकिन मोदी सरकार ‘धोखाजीवी’ है। उदयपुर आदिवासी अंचल के अपने कार्यक्रम के तहत उदयपुर आईं वृंदा करात ने बुधवार को पत्रकारों से वार्ता की और आदिवासी क्षेत्रों के हाल बताए। उन्होंने मोदी सरकार की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश बजट को आदिवासियों के लिए ‘धोखाजीवी बजट’ की संज्ञा देते हुए कहा कि बजट में 750 एकलव्य माॅडल आवासीय विद्यालयों की घोषणा की गई जबकि पिछले साल के 1313 करोड़ मुकाबले बजट सौ करोड़ रुपये ही ज्यादा 1418 करोड़ आवंटित गए, जबकि 25 हजार करोड़ रुपये बढ़ाकर दिया जाना चाहिए था। जब सरकार औसत खर्च ही नहीं दे रही है तब 750 स्कूल कहां से बन जाएंगे। वृंदा करात ने कहा कि केन्द्र और राज्य की सरकार कोरोना काल में आनलाइन पढ़ाई के दावे कर रही हैं, आदिवासी अंचल के दौरे के बाद सामने आया कि वहां तो कुछ भी नहीं हुआ। और तो और माॅडल स्कूल तक में पढ़ाई नहीं हुई है। खोखले दावों से सिर्फ आदिवासी समुदाय को भ्रमित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय को उनके जंगल-जल-जमीन के अधिकार से भी वंचित किया जा रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार और समर्थक किसानों की जायज मांगों को नकारने के लिए कभी खालिस्तानी तो कभी कुछ नाम देकर किसानों को अपशब्द कह रहे हैं। जबकि, किसानों का सवाल है कि हमारे लिए कानून बना रहे हो तो हमारी भी सुनिये। करात ने आरोप लगाया कि मोदी के कार्यकाल में और कोरोना काल तक में जब लोग बेरोजगार हो गए, उस समय चंद कम्पनियों का मुनाफा बढ़ गया। ये मोदी के मित्रों की कम्पनियां ही हैं। मोदी किसानों की आय नहीं बल्कि अपने मित्र काॅर्पोरेटों की आय को दुगुनी करने के कानून बना रहे हैं। विरोध की आवाज को दबाने के लिए झूठे मुकदमे लगाए जा रहे हैं। हिन्दुस्थान समाचार/सुनीता कौशल/संदीप-hindusthansamachar.in

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