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नेट थिएट पर मुखरित हुई गजलें, उस्ताद अहमद हुसैन-मोहम्मद हुसैन ने बुनी नज्म की जाजम

जयपुर, 27 फरवरी (हि.स.)। नेट-थिएट पर आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला में इस बार खास आकर्षण रहे गजल के सिरमौर फनकार उस्ताद अहमद हुसैन-मोहम्मद हुसैन। एक से बढ़कर एक नज्मों की सुनहरी जाजम पर जब इठलाती हुई गजलें उतरने लगीं तो इन फनकारों के गले की अद्भुत तासीर से लय और उपज की इंद्रधनुषी कसीदाकारी बखूबी जीवंत हो उठी। नेट-थिएट के राजेन्द्र शर्मा राजू ने बताया कि हुसैन बंधुओं ने मशहूर शायर हसरत जयपुरी की खास गजल चल मेरे साथ ही चल ऐ मेरी जाने गजल को पूर्ण मनोयोग से पेश कर भरपूर प्रशंसा पाई। उस्तादों ने अपनी प्रस्तुति का आगाज प्रियदर्शी ठाकुर की बंदिश मेरी उलझन से मेरे साथ उलझने वाला से किया। इसके बाद मैं हवा हूँ कहाँ वतन मेरा गजल ने सरहदी बंदिश को दरकिनार कर बड़ा सन्देश दिया। दोनों उस्तादों ने अपनी खास गजल क्या तुझ पे नज्म लिखूं की प्रस्तुति से महफिल को परवान चढ़ाया। इनके अलावा मौसम आएंगे जाएंगे, मुसाफिर हैं हम तो चले जा रहे हैं, , शायर वाली आसी की ग़ज़ल हम फकीरों से जो चाहे ....गजलों का खुशरंग गुलदस्ता सजाया। हुसैन बंधुओं ने कार्यक्रम की शुरूआत पुष्पलता प्रसाद द्वारा लिखित मंगल दाता बुद्धि विधाता शुभ दायक श्री गणेश गा कर की। हुसैन बंधुओं के साथ कीबोर्ड पर उस्ताद हबीब खान, वाॅयलिन पर गुलजार हुसैन और तबले पर मेराज हुसैन ने सुरीली संगत से मुखरित हुई गजलें। कार्यक्रम का संचालन हुसैन बंधुओं के षिष्य व वरिष्ठ रंगकर्मी गुरमिन्दर सिंह रोमी ने किया। मंच सज्जा डा. मुकेष कुमार सैनी, तपेष शर्मा ने किया। कार्यक्रम संयोजन घृति शर्मा, जितेन्द्र शर्मा, अंकित शर्मा नोनू, प्रकाष मनोज स्वामी, अंकित जांगिड़, संगीत संयोजन विष्णु कुमार जांगिड, सौरभ कुमावत का रहा। हिन्दुस्थान समाचार/दिनेश/संदीप

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