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बजट भाषण के बीच शायराना अंदाज में गहलोत कभी विरोधियों तो कभी अपनों पर कसते रहे तंज

जयपुर, 24 फरवरी (हि. स.)। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य विधानसभा में बुधवार को बजट भाषण के दौरान शायराना अंदाज में कभी विरोधियों तो कभी पार्टी से बगावत करने वाले अपनों पर तंज कसे। बजट भाषण के दौरान गहलोत ने बेहद सधे हुए शब्दों के साथ अपनी बात पूरी की। उन्होंने शेर भी पढ़े और संस्कृत के श्लोक तथा प्रेरणास्पद विचारों के जरिए अपना संदेश दिया। गहलोत ने स्वतंत्रता सेनानी रामप्रसाद बिस्मिल के "पलट देते हैं हम मौजे-हवादिस अपनी जुर्रत से कि हमने आंधियों में भी अकसर चिराग जलाए हैं" कथन को याद करते हुए भाजपा नेतृत्व पर तंज कसा। इस कथन से उन्होंने यह जताने की कोशिश की कि आपने मेरी सरकार गिराने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन यह कर्नाटक या पुडुचेरी नहीं है। "उद्यमेन हि सिद्धयन्ति, कार्याणि न मनोरथै" अर्थात कार्य परिश्रम से ही सफल होते हैं, मन में सोचने से नहीं। इसी भावना के साथ गहलोत ने कहा कि हमारी सरकार ने मेहनत में कोई कमी नहीं रखी चाहे परिस्थिति कैसी भी हो। इसके जरिए गहलोत ने सचिन पायलट समेत पार्टी आलाकमान को यह बताने की कोशिश की कि सत्ता में बने रहने के लिए मेहनत करनी पड़ती है, मैंने कोई कसर नहीं छोड़ी। भारत एक प्राचीन देश है, लेकिन युवा राष्ट्र है मैं भी युवा हूं और मेरा भी एक सपना है कथन के जरिए गहलोत ने संदेश दिया कि कोई यह नहीं सोचे कि वे बुजुर्ग हो गए हैं। गहलोत ने कहा भी- चंद दिन पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि जिसमें नया करने की क्षमता नहीं है, वह बुजुर्ग है। राजीव गांधी के कथन को याद कर इशारा किया कि उम्र मुझ पर हावी नहीं है। मैं विचारों से अभी एकदम युवा हूं और लंबी पारी खेलने को तैयार भी हूं। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के कथन "सपने वो नहीं जो आप नींद में देखें, सपने वो हैं जो आपकी नींद ही उड़ा दें" को उद्धत करते हुए गहलोत ने पायलट और केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को निशाने पर लेने का प्रयास किया। वे कहना चाहते हैं कि आपने मेरी सरकार गिराने के सपने तो देख लिए, लेकिन आधे-अधूरे प्रयास ही कर पाए। मदर टेरेसा की तरह हम सभी महान कार्य नहीं कर सकते हैं, लेकिन हम छोटी-छोटी चीजें अधिक प्रेम से कर सकते हैं की लाइनों को पढ़ते हुए गहलोत ने पायलट की तरफ दोस्ती बढ़ाने का संदेश दिया। स्वामी विवेकानंद के शब्दों " संभव की सीमा जानने का एक ही तरीका है, असंभव से भी आगे निकल जाना" को याद कर गहलोत पार्टी के बागी नेताओं को संदेश देने में कामयाब रहे कि उनकी क्षमता पर संदेह किया जाना ठीक नहीं है। गहलोत ने कहा कि " मेरे हौसलों में अभी जान बाकी है, ये तो दौड़ भर थी, अभी उड़ान बाकी है। मेरी सादगी से मेरे बारे में अंदाजा मत लगाना, ये तो शुरुआत भर थी अंजाम अभी बाकी है।" इन पंक्तियों से गहलोत ने पार्टी के नेताओं को संदेश दिया कि कांग्रेस का भविष्य अब गहलोत है। मैं कम जरूर बोलता हूं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं कुछ जानता नहीं हूं। मैं अब भी और आगे भी महत्वपूर्ण भूमिका में ही नजर आऊंगा। " निगाहों में मंजिल थी, गिरे और गिर कर संभलते रहे। हवाओं ने बहुत कोशिश की, मगर चिराग आंधियों में भी जलते रहे " शेर के माध्यम से गहलोत ने अमित शाह समेत सभी विरोधियों और बागी नेताओं को फिर नसीहत दी कि सभी ने मिलकर सरकार गिराने की पूरी कोशिश कर ली, लेकिन आंधियों में भी जलने वाले चिराग की तरह मैं पद पर बना हुआ हूं। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ ईश्वर

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