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शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो दायित्वों के प्रति जिम्मेदार बनाये - राज्यपाल

जयपुर, 26 मार्च (हि.स.)। राज्यपाल कलराज मिश्र ने विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों को लचीला बनाने, समय-समय पर अपडेट करने तथा निरंतर मूल्यांकन की आवश्यकता जताई है। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में जो कुछ पढ़ाया जा रहा है उसे बदलते समय-संदर्भों और परिवेश के अनुरूप अपडेट करने की जरूरत है। राज्यपाल शुक्रवार को जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर के 17वें दीक्षांत समारोह में राजभवन से ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी, विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में जिस तेजी से ज्ञान का प्रसार हो रहा है उसी गति से पाठ्यक्रमों को अपडेट करने के लिए इन्हें लचीला बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रमों में नवीनतम सामग्री जोड़ने और पुराने पड़ चुके संदर्भों को हटाने के लिए विश्वविद्यालयों में बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक नियमित रूप से आयोजित की जाये। राज्यपाल मिश्र ने कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो व्यक्ति में विचार करने का सामथ्र्य विकसित करे और उसे दायित्वों के लिए जिम्मेदार बनाए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को विषय ज्ञान के साथ-साथ मानव मूल्यों, धैर्य, अनुशासन और राष्ट्रीयता से जुड़ी गौरवगाथाओं से रूबरू कराना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि इन बातों को ध्यान में रखते हुए यदि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सही तरीके से लागू किया जाये तो प्रदेश उच्च शिक्षा के क्षेत्र में देशभर में सिरमौर बन सकता है। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि राज्य सरकार सभी विश्वविद्यालयों में एक जैसे पाठ्यक्रम लागू करने की दिशा में प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी राजस्थान भी पूरे प्रदेश के साथ शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़े, इसके लिए भी सरकार सतत प्रयत्नशील है। इसी क्रम में जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के अभियांत्रिकी महाविद्यालय को अलग से बहुसंकाय विश्वविद्यालय के रूप में विकसित करने की घोषणा की गई है। नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि वास्तविक शिक्षा सिर्फ पुस्तकों से ही नहीं बल्कि जीवन के उदाहरणों से मिलती है, इसलिए प्रबुद्धजन विद्यार्थियों के समक्ष जीवन्त उदाहरण प्रस्तुत करते हुए उनमें कृतज्ञता, करूणा और उत्तरदायित्व के भाव विकसित करें। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य सूचनाओं और जानकारियों का प्रसार करने से अधिक संतोषी और शांतिमय समाज की स्थापना का होना चाहिए। कुलपति प्रो. पी. सी. त्रिवेदी ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन तथा गत वर्ष की उपलब्धियों का ब्योरा प्रस्तुत किया। तीन विभूतियों को मानद डॉक्टरेट की उपाधि - दीक्षांत समारोह के दौरान न्यायाधिपति डॉ. दलवीर भण्डारी को डॉक्टर ऑफ लॉ (एलएलडी), वैज्ञानिक प्रो. गोवर्धन मेहता को डॉक्टर ऑफ साइन्स (डीएससी) और गांधीवादी एस. एन. सुब्बाराव को डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (डीलिट) की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। दीक्षांत समारोह के दौरान अभियांत्रिकी एवं वास्तुकला, कला, शिक्षा एवं समाज विज्ञान, वाणिज्य एवं प्रबंध, विज्ञान तथा विधि संकाय में पीएचडी, स्नातक एवं स्नातकोत्तर उपाधियां प्रदान की गई तथा पाठ्यक्रमों में सर्वोत्तम अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। हिन्दुस्थान समाचार/ ईश्वर/संदीप

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