dr-gehlot-said-in-nrcc39s-qrt-meeting-nrcc-should-also-include-rajuvas-and-state-animal-husbandry-department-in-research-work
dr-gehlot-said-in-nrcc39s-qrt-meeting-nrcc-should-also-include-rajuvas-and-state-animal-husbandry-department-in-research-work

एनआरसीसी की क्यूआरटी बैठक में बोले डॉ. गहलोत, अनुसंधान कार्यों में राजुवास एवं राज्य पशुपालन विभाग को भी शामिल करे एनआरसीसी

बीकानेर, 11 फरवरी (हि.स.)। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर [एनआरसीसी] के पंचवर्षीय पुनर्विलोकन दल (क्यूआरटी बैठक) की बैठक गुरुवार को आयोजित की गयी। एनआरसीसी के समिति कक्ष में आयोजित उच्च स्तरीय टीम की इस बैठक में चैयरमैन के रूप में प्रो.(कर्नल) डॉ. ए.के. गहलोत, पूर्व कुलपति, राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर तथा सदस्यों के रूप में केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मथुरा के पूर्व निदेशक डॉ. एस.के. अग्रवाल एवं पशु चिकित्सा महाविद्यालय, बीकानेर के भूतपूर्व अधिष्ठाता डॉ. बी.के. बेनीवाल मौजूद रहे। केन्द्र निदेशक डॉ.आर्तबन्धु साहू ने सभी समिति सदस्यों का स्वागत किया तथा इस अवसर पर केन्द्र के अधिदेश, उद्देश्य एवं प्रमुख क्षेत्र संबंधी फोल्डर का समिति सदस्यों के कर कमलों द्वारा विमोचन भी किया गया। टीम के सदस्य सचिव के रूप में डॉ. आर.के.सावल, प्रधान वैज्ञानिक एवं केन्द्र के सभी वैज्ञानिकों ने इस बैठक में भाग लिया। टीम ने केन्द्र द्वारा किए जा रहे नूतन अनुसंधानों पर संतोष व्यक्त किया एवं कहा कि इन अनुसंधान कार्यों में राजुवास एवं राज्य पशुपालन विभाग को भी शामिल किया जाए ताकि अनुसंधान का दायरा बढ़ाया जा सके जिससे और भी नए-नए पहलुओं पर अनुसंधान कार्य किए जा सकेंगे। यह समिति अपनी सिफारिशें, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली को सौंपेगी। केन्द्र में आयोजित इस उच्च स्तरीय टीम द्वारा पिछले पांच वर्षों (2012-17) में केन्द्र द्वारा प्राप्त अनुसंधान उपलब्धियों, अभिनव प्रयोग, अनुसंधानों की प्राथिकताएं, केन्द्र को उन्नयन करने, प्रशासनिक व वित्तीय आदि अनेक आवश्यकताओं के सन्दर्भ में गहन समीक्षा की गई। समिति ने वर्तमान में ऊँट पालन व्यवसाय से जुड़ी समस्याओं तथा इन्हें सुलझाने हेतु एनआरसीसी द्वारा यथासंभव सहयोग प्रदान करने तथा भावी अनुसंधान आदि के संबंध में सुझाव भी दिए गए। चर्चा के दौरान समिति ने इस बात पर जोर दिया कि ऊँट पालकों/किसानों की समाजार्थिक स्तर में प्रभावी सुधार लाने हेतु यह केन्द्र, निजी एजेन्सियों के साथ भी समन्वय स्थापित करते हुए नूतन प्रौद्योगिकी विकसित करे ताकि अनुसंधान कार्यों का पूरा-पूरा लाभ पशु पालकों एवं आम आदमी को मिल सके। हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/संदीप-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in