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कमलेश तिवारी के बाल कहानी संग्रह लट्टू और डोरी पर परिचर्चा कार्यक्रम आयोजित

जोधपुर, 14 फरवरी (हि.स.)। कहानीकार कमलेश तिवारी के बाल कहानी संग्रह लट्टू और डोरी पर गांधी शांति प्रतिष्ठान में परिचर्चा कार्यक्रम आयोजित हुआ। परिचर्चा में शहर के साहित्यकारों,साहित्य प्रेमियों और प्रबुद्धजनों ने भाग लिया। परिचर्चा में बाल साहित्य की विशेषताओं और आज के समय में उसकी प्रासंगिकता पर गम्भीर विचार विमर्श हुआ। कहानी संग्रह पर बतौर मुख्य वक्ता बोलते हुए डॉ. फतेह सिंह भाटी ने कहा कि लेखक के लिए बाल साहित्य लिखना हमेशा चुनोती भरा है क्योंकि उसके लिये बच्चों के स्तर से समझना होता है। बच्चों के लिए नया और बाहर का आकर्षण बना रहता है लेकिन वे दुनियावी प्रतिकूलताओं को समझ नहीं पाते।कहानी दादी नानी की परंपरा से आती है जो कि न्यूक्लियर फैमिली में खत्म से हो जा रही है। बच्चों की पत्रिकाएं भी खत्म हो गई है। आर्टफिशल इंटेलीजेंसी के दौर में बाल साहित्य लेखक के सामने बच्चों के लिए लिखना बड़ा चुनोती भरा है। उन्होंने कहा कि वह संसार भयावह होगा,जहाँ बच्चों के पास कहानियां नहीं होगी। वरिष्ठ रंगकर्मी रमेश बोराणा ने कहा कि सही समय पर बाल साहित्य व सृजन पर बात कर रहे हैं। मासूमियत को बाजार से जो खतरे है ऐसी स्थिति में यह संग्रह आना खुशी की बात है। वरिष्ठ साहित्यकार नवीन पंछी ने कहा कि ये कहानियां सम्प्रेषणीय है जो सहज सरल तरीके से बाल मन को प्रभावित करता है। वरिष्ठ लेखक मीठेश निर्मोही ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कमलेश जी कहानियां संदेश देती हुई कहानियां हैं। बच्चों के मन को समझते हुए आप इसमें सफल रहे हैं। इन कहानियों का नाट्य रूपांतरण भी होना चाहिए। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. आईदान सिंह भाटी ने विमर्श को गंभीर बनाते हुए कहा कि लेखक अपने समय को दर्ज करता है। कमलेश ने भी इन कहानियों में अपने समय की बच्चों की चिंताओ पर नजऱ रखते हुए इनको लिखा हैं। पहले सभी लेखक अनिवार्य तौर पर बाल साहित्य लिखता था। हिन्दुस्थान समाचार/सतीश-hindusthansamachar.in

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